उत्तराखंड

अगस्त्यमुनि में बेरोजगारों की हुंकार

दीपक बेंजवाल
रुद्रप्रयाग। रोजार सृजन, सरकारी भर्ती परीक्षाओ में हो रही धाधंलेबाजी, धोखाधड़ी के खिलाफ आज अगस्त्यमुनि में बड़ी संख्या में बेरोजगारो ने प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। सरकार को बरोजगारो के साथ मजाक करना बंद करना होगा, भर्तीयो में पारदर्शिता और तय समय सीमा में परीक्षा आयोजित करने को लेकर इस चेतना रैली उमड़े बेरोजगारो ने प्रदेश सरकार और आयोग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

शिक्षत बेरोजगार रैली को संबोधित करते हुए संयोजक अंकित पुरोहित ने कहा कि सरकार को समझना होगा कि भविष्य की आस संजोये हजारो युवा रातदिन मेहनत करते है लेकिन भर्ती परीक्षाओ को बार बार स्थगित करने से उनका मनोबल टूटता है।

युवा नेता हैप्पी असवाल का कहना है कि प्रदेश में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा होने के बाद भी सरकारे गंभीर नही है। यह मुद्दा पलायन से भी जुड़ा है, युवा पहाड़ में नौकरी करना चाहते है लेकिन सरकार बार बार विज्ञप्तियो पर रोक लगा देती है, बैकलाँग से होने वाली भर्तियो में बाहरी व्यक्तियो को भरा जाता है यह पहाड़ के युवाओ के साथ अन्याय है। उन्होने स्थगित की परीक्षाओ को दुबारा करवाने और रिक्तियो पर शीघ्र भरती आयोजित करने की माँग की है। रैली में लक्षमण रावत, कुलदीप रावत, नीलम, प्रियंका, विनय, गिरीश समेत बड़ी संख्या में बेरोज़गार मौजूद थे।

राज्य बनने के बाद उत्तराखण्ड के नौनिहालो के साथ सरकारे लगातार धोखा करती आ रही है। हर बार विज्ञप्तियाँ निकाल कर उन्हे स्थगित कर लिया जाता है, फिर साल दो साल और कभी कभी तो कार्यकाल पूरा होने के बाद भी परीक्षाऐ आयोजित नही की जाती है। हाल ही में आयोजित होने वाली फारेस्ट गार्ड और उद्यान विभाग की भर्ती परीक्षा फार्म भरवाने के बाद स्थगित की जा चुकी है। कई परीक्षाओ को आयोजित करवाने के नाम पर घोटाले बाहर आते है। पटवारी भर्ती घोटला इसका बड़ा उदाहरण है। ये सब किसके लिऐ और क्यूँ होता है किसी से छिपा नही है।

सरकार के कई मंत्री अपने चहेते को एडजस्ट करने के नाम पर भर्तीयो को कभी रद्द करवा देते है तो कभी संविदा के नाम पर उपनल या इस जैसे बैकलाँग रास्ते खोल कर करोड़ो अरबो रूपयो का वारा न्यारा कर लेते है। फिर परीक्षा पास कर नौकरी के सपने देखने वाला युवा खुद को ठगा महसूस करता है, जिसकी मनस्थिति समझने की फुरसत किसी नेता और सरकार को नही है। इसलिए रोजगार की आस संजोये बेरोजगारो को अब आन्दोलन करने को बाध्य होना पड़ रहा है।

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