तीरथ सरकार ने आखिर रोक दी पूर्व सीएम की गैरसैंण मंडल की घोषणा..
उत्तराखंड: प्रदेश की तीरथ सरकार ने आखिरकार गैरसैंण मंडल की घोषणा पर ब्रेक लगा ही दिए हैं। त्रिवेंद्र सरकार ने भराड़ीसैंण में बजट सत्र के दौरान गैरसैंण को मंडल बनाने की घोषणा करके सबको चौंका दिया था। हालांकि नेतृत्व परिवर्तन होते ही नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस पर दोबारा विचार करने की बात कही थी। गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करना उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के एजेंडे में था।
लेकिन इस फ़ैसले के एक साल बाद गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने का निर्णय त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अचानक ले लिया था। जिसमे गढ़वाल मंडल के दो जिले चमोली और रुद्रप्रयाग और कुमाऊं मंडल के दो महत्वपूर्ण जिले अल्मोड़ा और बागेश्वर को मिलाकर नई कमिश्नरी के गठन की घोषणा कर दी थी। अभी तक राज्य में सिर्फ दो कमिश्नरी गढ़वाल और कुमाऊं ही हुआ करती थीं। इन दो कमिश्नरी के लोगों को गढ़वाली और कुमाउंनी के तौर पर पहचाना जाता है।
अल्मोड़ा जिले से कुमाऊं के लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं..
अल्मोड़ा जिले से कुमाऊं के लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। अल्मोड़ा को कुमाऊं की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है। कुमाऊं के लोगों को लगा कि उनकी पहचान खत्म हो जाएगी। गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने की घोषणा से कुमाऊं और गढ़वाल के कई विधायकों व मंत्रियों के साथ-साथ कई लोग भी नाराज हो गए थे। लोगों का कहना था कि जबदस्ती कमिश्नरी को थोपा जा रहा हैं। इस बात को लेकर भी विवाद किया जा रहा था कि इतना बड़ा निर्णय लेने से पहले त्रिवेंद्र रावत ने किसी स्थानीय विधायक या सांसदों की राय तक लेना सही नहीं समझा।
पार्टी फोरम में भी बड़े स्तर पर इस घोषणा का विरोध हुआ था। इन्हीं विवादों के चलते त्रिवेंद्र रावत की कुर्सी भी चली गई। नई सरकार बनते ही सीएम तीरथ सिंह रावत ने इस पर पुनर्विचार करने को कहा था, जिसके बाद शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस घोषणा को स्थगित कर दिया गया।