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साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में आज के ही दिन लगी थी आग, तीन दिनों तक गूंजती रहीं हवा में चीखें..

साबरमती एक्सप्रेस

साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में आज के ही दिन लगी थी आग….

तीन दिनों तक गूंजती रहीं गुजरात की हवा में चीखें..

देश-विदेश : 27 फरवरी 2002, सुबह करीब 6 बजे साबरमती एक्सप्रेस दाहोद रेलवे स्टेशन पहुंची. इस ट्रेन से हजारों कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे. साबरमती एक्सप्रेस के दाहोद पहुंचते ही एक मुस्लिम चायवाला ट्रेन के एक डिब्बे में चढ़ने की कोशिश करता है. उसे चढ़ने से रोका जाता है. इसकी वजह से यात्री और चायवाले के बीच झगड़ा हुआ और कहा जाता है कि इस घटना के बाद वह चायवाला दाहोद से गोधरा फोन कर देता है. दाहोद से करीब डेढ़ घंटे के सफर के बाद साबरमती एक्सप्रेस चार घंटे की देरी से गोधरा स्टेशन पहुंचती है.

 

 

जांच रिपोर्ट के मुताबिक, जब ट्रेन स्टेशन से रवाना होने लगी, तो तब ट्रेन की इमरजेंसी चेन खींची गई और अचानक से जमा हुई भीड़ ने ट्रेन पर पत्थर फेंक दिए और कोच नंबर एस-6 में आग लगा दी. जिसमें सबसे अधिक कार सेवक सवार थे. 27 फरवरी, 2002 भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है, जिसने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की भावना को आग लगा दी.

 

 

 

काबू पाने के लिए उतारी गई सेना..

19 साल पहले 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में 59 लोगों की आग में जलकर मौत गई. इसके कुछ घंटे के बाद मामला अशांत होने लगा. शाम होते-होते गोधरा ट्रेन की इस घटना ने गुजरात में दंगों का रूप ले लिया और भारतीय राजनीति के इतिहास के चेहरे पर बदनुमा दाग दे गया. अगले तीन दिन तक गुजरात जलता रहा. आग की लपटें, हवा में काले धुएं और लोगों की चीखें गूंजती रही. इसमें करीब 1200 से अधिक लोग मारे गए. गुजरात सरकार दंगों को काबू करने में नाकाम रही थी. तीसरे दिन दंगों को काबू करने के लिए सेना उतारनी पड़ी थी.

 

 

 

लंबी चली जांच और सुनवाई..

करीब एक दशक तक चली जांच और लंबी सुनवाइयों के बाद 2011 की फरवरी में अदालत ने इस मामले में 31 लोगों को दोषी ठहराया और 63 लोगों को रिहा कर दिया. दोषियों में से 11 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई. हालांकि जांच में जिस मौलवी सईद उमरजी की ओर मुख्य साजिशकर्ता होने का संकेत किया गया, वे रिहा हो गए. साबरमती एक्सप्रेस में लगी आग की न्यायिक जांच के लिए नानावटी आयोग का गठन हुआ था. अपनी रिपोर्ट में आयोग ने साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में लगी आग को सोची समझी साजिश ठहराया था.

 

 

 

11 दिसंबर 2019 को अंतिम रिपोर्ट..

गुजरात विधानसभा में दंगों की जांच कर रहे नानावती आयोग की 1500 से अधिक पन्नों की अंतिम रिपोर्ट रखी गई. रिपोर्ट में कहा गया कि जांच में ऐसे कोई भी सबूत नहीं मिले, जो ये साबित करे कि राज्य सरकार या उसके मंत्रियों की इस दंगे में कोई भूमिका थी. आयोग ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली तत्कालीन गुजरात सरकार को अपनी रिपोर्ट में क्लीन चिट दी.

 

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