उत्तराखंड

शौर्य दिवस पर शहीदों के परिजनों ने जताया दुख

कारगिल युद्ध में रुद्रप्रयाग के तीन जवान हुए थे शहीद
कहा, सरकार की घोषणा आज भी है अधूरी

रुद्रप्रयाग। कारगिल युद्ध में जनपद के तीन जवानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था। हर साल कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों की याद में कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, मगर सरकारी स्तर से की गयी घोषणाएं आज भी अधूरी हैं। शहीद के गांव तक ना ही सड़क पहुंच पाई है तो उनके नाम से गेट का निर्माण किया गया है। यहां तक कि शहीदों के बच्चों को नौकरी तक नहीं मिली है। ऐसे में उन्होंने कार्यक्रम में भाग लेकर अपना दुखड़ा सुनाया।

हर साल कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों की याद में कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और शहीदों के परिजनों को कार्यक्रम में बुलाकर उन्हें शाॅल भेंट कर सम्मानित किया जाता है, मगर सबसे बड़ी दुख की बात यह कि सरकारी स्तर से की गयी घोषणाएं आज भी पूरी नहीं हो पायी है। रुद्रप्रयाग जिले कांडई, देवर एवं क्यूंजा गांव से शहीद हुए तीन जवानों की शहादत को लम्बा अर्सा बीत गया है, लेकिन उनके गांव और परिजनों के लिए की गयी घोषणाएं पूरी नहीं की। काण्डई गांव के शहीद सुनील दत्त काण्डपाल के नाम से दशज्यूला-काण्डई सड़क का नाम तो रखा गया है, लेकिन शहीद के गांव तक आज भी सड़क नहीं पहुंच पाई है। ऐसे में ग्रामीण जनता को मीलों पैदल चलना पड़ता है। इसके साथ ही अन्य शहीदों के गांवों के लिए की गयी घोषणाएं भी पूरी नहीं हो पाई है। शहीदों के बच्चों रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं।

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