36 घंटे के बाद भी जारी है जिंदगी बचाने की जंग..
सुरंग के अंद फंसे 35 मजदूर और 3 इंजीनियर..
उत्तराखंड : रविवार को आई बाढ़ में लापता लोगों की तलाश का काम सोमवार देर रात तक जारी रहा है। जैसे-जैसे समय बढ़ रहा है मलबे या सुरंग के अंदर जीवन की आस भी धूमिल होती जा रही है। 36 घंटे से अधिक बीतने के बाद भी सुरंग और मलबे में फंसे लोगों का कुछ पता नहीं लग पाया है। तपोवन जल विद्युत परियोजना की मुख्य सुरंग पर तपोवन और सेलंग से काम चल रहा था। सेलंग से मशीन से करीब छह किमी सुरंग बन चुकी थी, जबकि तपोवन की तरफ से मजदूर सुरंग बनाने में जुटे थे और तीन किमी सुरंग बन चुकी थी। इस सुरंग में अभी भी कंपनी के 35 मजदूर और 3 इंजीनियर फंसे हैं।
बचाव दल का सबसे अधिक फोकस इसी सुरंग से मलबा हटाने पर है, लेकिन पानी और गाद के कारण रेस्क्यू में परेशानी हो रही है। मशीन से गाद हटाते ही पीछे से और गाद आ रही है। पूरा दिन ऐसे ही चलता रहा, जिस कारण बचाव दल टनल के अंदर तक नहीं पहुंच पा रहे है। सुरंग के अंदर फंसे लोगों के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। टनल में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए सोमवार सुबह चार बजे से ही राहत-बचाव कार्य शुरू हो गया था। आईटीबीपी, सेना, एनडीआरएफ व आपदा प्रबंधन की टीमों ने सुरंग से मलबा हटाने का काम शुरू किया है। ऑस्कर लाइट की रोशनी में रेस्क्यू अभियान चला रहे है।
मलबा अधिक होने के कारण रेस्क्यू में दिक्कतें हो रही है, जिसे देख आईटीबीपी के जवानों ने आवाजाही के लिए दलदली मिट्टी के ऊपर लकड़ी के तख्ते बिछाकर रास्ता बनाने का प्रयास किया है। दिनभर मलबे में अंदर फंसे लोगों को ढूंढने का काम चलता रहा। वहीं, मलारी हाईवे पर रैणी गांव के पास मोटर पुल बह जाने के बाद 13 गांव अलग-अलग पड़े हुए हैं। प्रभावित गांवों में जिला प्रशासन ने हेलीकॉप्टर से राशन किट बांटी और कई लोगों को रेस्क्यू कर दूसरे छोर तक पहुंचाया है। जोशीमठ और मलारी क्षेत्र में फंसे 60 लोगों को हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।