उत्तराखंड

इस शिक्षक ने बदल दी प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर

एकल अध्यापक होने के बावजूद विद्यालय में जगाई शिक्षा की अलख
राप्रावि कोट-तल्ला को बनाया माॅडल स्कूल
स्कूल में बनाई गई नर्सरी में रोपे 16 हजार पौधे
स्कूल दाखिले के समय हर बच्चा करता है पौध रोपण
स्कूल में छात्र संख्या पहुंची चालीस के पार

रोहित डिमरी
रुद्रप्रयाग। बदलाव की शुरुआत एक व्यक्ति से होती है और समाज तभी आगे बढ़ता है जब बदलाव आता है। आज हम आपको एक ऐसे शिक्षक से रूबरू करवा रहे हैं, जिन्होंने अपने बलबूते सरकारी स्कूल की कायाकल्प ही कर दी। आज उनका स्कूल मॉडल स्कूल के रूप में जाना जाता है। स्कूल में दाख़िले के समय छात्र एक पौधारोपण करता है। विद्यालय एकल शिक्षक के भरोसे होने के बावजूद अभिभावकों का स्कूल के प्रति विश्वास बढ़ा है।

हम बात कर रहे हैं राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोट-तल्ला के अध्यापक सतेन्द्र भंडारी की। जिले के अन्य शिक्षकों के लिए सतेन्द्र भंडारी मिसाल बने हुए हैं। समय से स्कूल पहुंचना और छात्रों की पढ़ाई-लिखाई के साथ ही अन्य गतिविधियां विद्यालय में संचालित करने से क्षेत्र की जनता में खुशी का माहौल है। जिले के दूर-दराज क्षेत्रों में जहां शिक्षक समय से स्कूल नहीं पहुंचते, वहीं अध्यापक सतेन्द्र भंडारी घर से प्रातः पांच बजे चलकर साढ़े छः बजे स्कूल पहुंच जाते हैं और फिर साफ-सफाई करवाकर बच्चों को पाठ पढ़ाते हैं। इसके साथ ही छात्रों के लिए उन्होंने अपने संसाधनों पर कम्प्यूटर उपलब्ध कराया है और प्रोजेक्टर के माध्यम से छात्रों की पढ़ाई होती है। यह जनपद का एक ऐसा बेसिक सरकारी विद्यालय है, जहां छात्रों को प्रोजेक्टर से पढ़ाया जा रहा है। छात्र भी बड़ी लगन के साथ पढ़ाई करते हैं।

रुद्रप्रयाग मुख्यालय से चालीस किमी दूर रानीगढ़ पट्टी क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राम पंचायत कोट-तल्ला स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय बना है। स्कूल में प्रवेश करते ही अनुमान लगाना मुश्किल है कि यह सरकारी स्कूल है या फिर प्राईवेट। स्कूल में वर्तमान में छात्र संख्या चालीस है, जबकि पूर्व में स्कूल में नाममात्र के बच्चे पढ़ा करते थे। शिक्षक भंडारी ने एक दुर्गम क्षेत्र के विद्यालय को प्राईवेट विद्यालय से भी बेहतर रूप दिया है। उनका यह प्रयास उन शिक्षकों के लिए एक मिसाल भी है जो सुविधाओं का रोना रोकर शिक्षण कार्य में रूचि नहीं लेते हैं।

वर्ष 2009 से पहले विद्यालय की स्थिति काफी नाजुक बनी थी। यह विद्यालय जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों की अनदेखी का शिकार बना रहा। 15 जनवरी 2009 को जब शिक्षक सतेन्द्र भंडारी विद्यालय में आए तो उन्हें विद्यालय की स्थिति को देखकर अफसोस जताया। स्कूल भवन जर्जर स्थिति में होने के कारण छात्रों का पठन-पाठन सही तरीके से नहीं हो पा रहा था। इसके बाद उन्होंने स्कूल के नये भवन निर्माण को लेकर संघर्ष किया और जिला स्तर से लेकर शासन स्तर तक के अधिकारियों से मुलाकात की। उनकी मेहनत रंग लाई और वर्ल्ड बैंक के तहत विद्यालय का निर्माण किया गया। शिक्षक भंडारी ने विद्यालय में अपने संसाधनों से न केवल अंग्रेजी पाठ्य सामाग्री एकत्रित की, बल्कि कम्प्यूटर भी लगाया।

विद्यालय की दीवारों पर वीर, वीरांगनाओं, स्वतंत्रता सेनानियों के चित्रों को उकेरा गया है। इसके साथ ही स्कूल के चारों और पेड़-पौधे भी लगाये गये हैं। जब कोई बच्चा स्कूल में दाखिला लेता है तो वह एक पौधे का रोपण करता है और पांच वर्ष तक उस पौध की देख-रेख का जिम्मा भी स्वयं छात्र द्वारा की जाती है। विद्यालय में अध्ययनरत छात्र हर दिन नर्सरी में जाकर पौधों की देख-रेख करते हैं। इसके साथ ही खेलकूद की सामग्री भी रखी गई है। विद्यालय की नर्सरी में 16 हजार पौध उपलब्ध है, जिसकी देखभाल ग्रामीणों के साथ ही स्कूली बच्चे कर रहे हैं।

शिक्षक भंडारी विद्यालय में काफी मेहनत करते हैं। छात्रों के भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं। पहले जहां विद्यालय में छात्रों की संख्या ना के बराबर थी, वहीं अब छात्र संख्या चालीस हो गई है। यह सब शिक्षक की मेहनत का ही नतीजा है, जिस पर क्षेत्र की जनता को भी गर्व है। स्कूल में पढ़ने, लिखने से लेकर खेलकूद की सामग्री है। ऐसे में छात्र हंसी-खुशी स्कूल जाते हैं, जिससे अभिभावकों में भी खुशी बनी रहती है। इसके अलावा नर्सरी में जाकर छात्र स्वयं ही पौधों की निराई-गुड़ाई करते हैं।
दिनेश सिंह चौधरी,
अध्यक्ष
विद्यालय प्रबंधन समिति

जिला प्रशासन की ओर से ऐसे शिक्षकों का चयन किया जा रहा है, जो बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। ऐसे अध्यापकों से अन्य शिक्षकों को प्रेरणा लेने की जरूरत है। शिक्षक भंडारी को जिले से लेकर राज्य स्तर पर सम्मान दिलाये जाने के प्रयास किये जायेंगे।
मंगेश घिल्डियाल, जिलाधिकारी

छात्रों के भविष्य का जिम्मा शिक्षक के हाथों पर होता है और शिक्षक समाज का दर्पण भी है, जो छात्रों को आगे बढ़ाने के साथ ही समाज को सही राह दिखाता है, लेकिन कुछ शिक्षक ही ऐसे होते हैं जो छात्रों और समाज के प्रति समर्पण हैं। अन्यथा ऐसे भी शिक्षक हैं जो छात्रों को पढ़ाने के बजाय उनका भविष्य अंधकारमय कर रहे हैं। शिक्षक सतेन्द्र भंडारी समाज के प्रति अपनी जवाबदेही समझने के साथ ही छात्रों के भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं, ऐसे शिक्षकों का सम्मान किया जाना जरूरी है।
सरोजनी देवी, ग्राम प्रधान

पर्यावरण संरक्षण को लेकर शिक्षक सतेन्द्र भंडारी ने ऐतिहासिक पहल की है। स्कूल में नर्सरी लगाई गई है, जिसमें 16 हजार पौध लगाये गये हैं। इन पौधों को क्षेत्र में लगाया जायेगा, जिससे पर्यावरण संतुलन बना रहे। इसके अलावा हर छात्र द्वारा दाखिला लेने पर पौध लगाया जा रहा है, शिक्षक भंडारी की यह सोच काबिले-तारीफ़ है।
जगत सिंह जंगली
प्रसिद्ध पर्यावरणविद्

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