उत्तराखंड

दिवाली पर लीजिये मंडुवे से बनी स्वादिष्ट मिठाइयों का स्वाद…

इस दिवाली के लिए की जा रही हैं पहाड़ी मंडुए से लजीज मिठाइयां तैयार ..

उत्तराखंड : पहाड़ी अनाज मंडुवे (कोदा) की रोटी तो जरूर खाई होगी, लेकिन जल्द ही मंडुवा की बर्फी का लुत्फ भी ले सकेंगे। पुराने जमाने में मंडुवे को केवल रोटी व बाड़ी (सादा हलुवा) के रूप में ही खाया जाता था। लेकिन मंडुवे की पौष्टिकता को देखते हुए कुछ वर्षों से रोटी के अलावा बिस्कुट और अन्य रूप में भी इसका उपयोग हो रहा है। और अब आगे मंडुवा बर्फी के रूप में भी बिकने को तैयार है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल (Vocal for Local) के मंत्र को साकार करने के लिए लिए चारों ओर से आवाज उठी है। देवभूमि उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है। उत्तराखंड के पहाड़ी अनाजों को वैश्विक पहचान दिला चुका हिमालय देवभूमि संसाधन ट्रस्ट इस बार दीवापली पर स्थानीय अनाजों से तैयार लजीज मिठाइयां लेकर आया है। शुद्धता और पौष्टिकता से भरपूर ये उत्पाद चर्चा का विषय बने हुए हैं। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने भी ट्रस्ट के इस प्रयास की सराहना की है। सीएम ने स्थानीय अनाजों से निर्मित देवभोग स्वीट्स (Devbhog sweets) को लॉन्च कर ट्रस्ट को शुभकामनाएं दी हैं।

देहरादून के रिंग रोड क्षेत्र में हिमालय देवभूमि संसाधन ट्रस्ट स्थानीय अनाजों की प्रोसेसिंग पर लगातार प्रयोग करता रहा है। देवभोग प्रसाद योजना के सफल संचालन के बाद ट्रस्ट ने इस बार दीपावली पर मिठाई के खास गिफ्ट तैयार किए हैं। ट्रस्ट ने मंडुआ, चौलाई, कुट्टू औऱ झंगोरे से विभिन्न प्रकार की मिठाइयां बनाई हैं। इसमें बर्फी, पेड़े, लड्डू, गुलाब जामुन आदि शामिल हैं। ट्रस्ट द्वारा शानदार पैकिंग में मिठाइयों को परोसा जा रहा है। खास बात ये है कि ट्रस्ट ने इन उत्पादों को एफएसएसआई से अप्रूव कराया है।

 

 

दिवाली पर मीठा स्वाद हर किसी को पसंद है। ये वो त्योहार है, जब आप एक दूसरे को मिठाइयां गिफ्ट करते हैं। ऐसे में अगर आप उत्तराखंड से हैं तो क्यों ना इस दिवाली कोदा और झंगोरा से बनी मिठाइयां एक दूसरे को गिफ्ट की जाएं  पहाड़ के युवाओं की ये एक शानदार पहल है और हर जगह इसकी तारीफ हो रही है।

त्यौहारों के समय बाजार में मिलने मिलावटी मिठाइयों से आमजन के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे समय इम्यूबनिटी बूस्टर मंडुआ, झंगोरा और चौलाई की मिठाइयां न सिर्फ आपकी सेहत का ख्याल रखेंगी बल्कि एक स्वाद भी देंगी। कोरोना काल में लोगों के लिए यह किसी दिव्य उपहार से कम नहीं हैं। ट्रस्ट का उद्देश्य बेरोजगार युवाओं व स्थानीय महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का है। रिंग रोड स्थित कार्यालय में दर्जनभर से अधिक महिलाएं रोजगार से जुड़ी हुई हैं।

 

 

ट्रस्ट ने एक औऱ प्रयोग करते हुए उत्तराखंड में पाये जाने वाले 12 प्रकार के अनाजों की फ्रोसेसिंग में भी हाथ बढ़ाया है। ट्रस्ट से जुड़े गोविंद सिंह मेहर बताते हैं कि इन 12 अनाजों (बारहनाजा) पर रिसर्च की जा रही है। इसे मिठाई के अलावा नमकीन, गुलाबजामुन, बिस्कुट आदि बनाए जाएंगे।गोविंद सिंह बताते हैं कि पहाड़ी अनाजों के उपयोग से चारधाम यात्रा के लिए देवभोग प्रसाद बनाने की भी प्रेरणा मुख्यंत्री त्रिवेंद्र सिंह जी से मिली। यह प्रयोग सफल रहा और इसी के बाद मिठाइयां बनाने का विचार भी मन में आया। गोविंद सिंह मेहर पहाड़ी अनाजों के उत्पाद को पहचान दिलाने में प्रयासरत रहे हैं। देवभोग प्रसाद योजना के संचालन में भी गोविंद सिंह की बड़ी भूमिका रही है।

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