उत्तराखंड

ऊर्जा प्रदेश के नाम से मशहूर उत्तराखंड में आज भी बिजली जैसी मूल भूत सुविधा से वंचित है कांडा गांव..

ऊर्जा प्रदेश के नाम से मशहूर उत्तराखंड में आज भी बिजली जैसी मूल भूत सुविधा से वंचित है कांडा गांव…

विद्युत लाइन की बजाय ,सोलर से जगमग हुआ तैड़िया,कॉर्बेट पार्क का गांव…

डॉ.ए.पी.ध्यानी

पौड़ी गढ़वाल : ग्राम सभा कांडा का अभिन्न अंग तैड़िया विकास खंड रिखणीखाल का सीमांत व कॉर्बेट पार्क के अंदर बसा हुआ है जो कि वर्षों से शासन की हीलाहवाली से विस्थापन् व विकास की जद्दोजहद में पिसता ही रहा! वर्ष 1998 से वन विभाग की पैरवी हो या ग्रामीणों की सहमति..सभी कोशिशों ने व शासन सत्तानेग्रा मीणों से छलावा ही किया! विस्थापन् एवं पुनर्वास संघर्ष समिति तैड़िया की ओर से शासन के साथहुयी वार्ताओं व बैठकों का भी अबतक प्रतीक्षित् ही है!

बहरहाल ग्रामीणों ने विकास व विस्थापन् के बीच विद्युत विभाग से संपर्क की कोशिशें की …आखिरकार विगत वर्ष हुये सर्वेक्षण से कुछहलचल जरूर हुयी..उस दौरान बीस परिवारों के लिये सोलर पैनल देकर विद्युतीकृत करने की कवायद हुयी….प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के तहत् विगत दिवस कनिष्ठ अभियंता,रिखणीखाल कुलदीप रावत की अगुवायी में गांव सोलर पैनल लेकर पहुंचे ..अब तक ग्यारह पैनल पहुंच े हैं …बाकी अभी और पहुंचने हैं ….,ग्रामीण व विस्थापन् एवं पुनर्वास संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ.ए.पी.ध्यानी का कहना है कि यदि गांव को विस्थापित करने की मंशा सरकार ..शासन की अनुकूल नहो तो वह गांव की विकास प्रक्रिया में वन व सरकार किसी तरह की बंदिशें न रखे….गांव जहां पर्यटक रूप में विकसित हो सकता है

वहीं दूसरी ओर .. सड़क से भी संयोजित हो सकता है..वन व वन कानूनों के चलते इन सबसे शासन ने जानबूझकर वंचित रखा है ..जो कि न्यायोचित् नहीं …रोजगार व शिक्षा ,स्वास्थ्य ..आदि की मजबूरियों के कारण जहां पलायन हुआ है !

वहीं दूसरी ओर खेती ,पशुधन् हानि ,स्वयं की रक्षा वन्य जीवों के हमलोॆं के भय ने भी आबादी को प्रभावित किया है लगभग छप्पन हेक्टेयप के भूभाग पर होने वाली खेती ,गोठ,किसानी ,काश्तकारी..को वर्तमान में घरों के सम्मुख बनी लहसुन ,प्याज व राईमूली की क्यारियों में प्रतिरूपित देखा जा सकता है……यह उक्ति चरितार्थकरती प्रतिबिंबित हो रही कि.

“उजाला तो हुआ कुछदेर शहना.. ए..गुलिस्तां में…!
बला से बिजलियों ने छीन डाला आशियाना मेरा..!!”

 

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