उत्तराखंड

मंदाकिनी नदी पर बना लोहे का स्थाई पुल नदी के तेज बहाव में बहा

रैल गांव के ग्रामीणों का कटा देश-दुनिया से संपर्क
गांव को जोड़ने वाली ट्राली हो रखी है खराब

रुद्रप्रयाग। केदारघाटी में आफत की बारिश ने तांडव मचाना शुरू कर दिया है। लगातार हो रही बारिश के कारण आम जन-जीवन ठहर सा गया है। बारिश के कारण जहां भूस्खलन हो रहा है। वहीं मंदाकिनी नदी ने भी अपना कहर ठाना शुरू कर दिया है। केदारनाथ यात्रा के अहम पड़ाव फाटा के नीचे मंदाकिनी नदी पर रैल गांव को जोड़ने वाला लोहे का अस्थाई पुल नदी के तेज बहाव में बह गया है। पुल बहने से ग्रामीण नदी पार ही फंस गये हैं। ट्राली पिछले एक वर्ष से खराब होने के कारण ग्रामीण अस्थाई पुल से ही आवाजाही करते थे, लेकिन पुल बह जाने से अब ग्रामीणों के सम्मुख आवाजाही करने का संकट पैदा हो गया है।

16-17 जून 2013 को आई आपदा के जख्म एक बार फिर हरे होने लगे हैं। दो दिन की बारिश में ही मंदाकिनी नदी ने विकराल रूप धारण कर दिया है। मंदाकिनी नदी के उफान पर आने से नदी किनारे कटाव शुरू हो गया है। जबकि नदी में बनाये गये पुलों को भी खतरा पैदा हो गया है। 16-17 जून 2013 की आपदा में रैल गांव को जोड़ने वाला पुल आपदा की भेंट चढ़ गया था। आपदा के पांच वर्षों बाद भी यहां पर पुल नहीं बन पाया। जिसके बाद ग्रामीणों की आवाजाही ट्राली से हो रही थी, लेकिन पिछले वर्ष यहां ट्राली से गिरकर कुछ लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद लोक निर्माण विभाग ने यहां पर ग्रामीणों की आवाजाही के लिये लोहे का अस्थाई पुल लगाया, लेकिन कल रात हुई बारिश के कारण मंदाकिनी नदी के उफान पर आने से पुल नदी के तेज बहाव में बह गया है। जिस कारण अब रैल गांव के ग्रामीण गांव में ही फंस गये हैं।

रैल गांव को जोड़ने के लिये मंदाकिनी नदी पर बनाई गई ट्राली भी खराब चल रही है, जिससे अब जनता के सम्मुख आवाजाही का संकट पैदा हो गया है। रैल गांव के स्कूली नौनिहाल स्कूल भी नहीं आ पा रहे हैं। साथ ही गांव में आवश्यक सामग्री की आपूर्ति भी नहीं हो पा रही है। लगातार बारिश जारी रहने से मंदाकिनी नदी ने भी विकराल रूप धारण कर लिया है। ऐसे में अन्य स्थानों पर लगाये गये पुलों के लिये भी खतरा पैदा हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि लोक निर्माण विभाग को एक माह पूर्व ही पुल हटाने के लिये कहा गया था, लेकिन विभाग ने पुल को नहीं हटाया। जिस कारण आज दिक्कतें बढ़ गई हैं। ट्राली भी एक वर्ष से खराब चल रही है।

यदि ट्राली का रख-रखाव होता तो आज जनता के सामने आवाजाही का संकट पैदा नहीं होता। बच्चे ट्राली में जाने से कतरा रहे हैं। पूर्व में भी ट्राली से सफर करते समय कई घटनाएं घट चुकी हैं, लेकिन ग्रामीणों की सुनने वाला कोई नहीं है।

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