राजस्व सचिव से मिला चारधाम परियोजना संघर्ष समिति का शिष्टमंडल
पट्टे वाली जमीनों का मिलेगा मुआवजा, शासनादेश हुआ जारी
1983 से पहले सरकारी जमीन पर काबिज लोग 18 फरवरी तक करवाएं नियमितीकरण
रुद्रप्रयाग। चारधाम परियोजना संघर्ष समिति के शिष्टमण्डल ने सचिवालय में राजस्व सचिव सुशील कुमार से भेंट कर उन्हें चारधाम परियोजना के अंतर्गत सड़कों के चैड़ीकरण व विस्तारीकरण से टूटने वाले मकानों और उजड़ने वाले व्यवसायों की व्यथा से अवगत कराया। शिष्टमंडल ने माँग की कि सरकारी भूमि पर बने मकानों को भी सड़क चैड़ीकरण से प्रभावित होने पर मकानों और व्यवसायियों को भी क्षतिपूर्ति की जानी चाहिए। ताकि वे अपनी आजीविका का अन्यत्र प्रबंध कर सकें। अन्यथा इस परियोजना से उजड़ने वाले परिवारों को पलायन को मजबूर होना पड़ेगा, जिसका दुष्प्रभाव पहले से ही पलायन की मार झेल पहाड़ी क्षेत्रों पर पड़ेगा।
राजस्व सचिव को बताया गया कि लोगों की माँग पर सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 के अंतर्गत दिशा-निर्देशों में परिवर्तन कर सरकारी भूमि पर बने भवनों के लिए भी प्रतिकर का प्राविधान कर दिया है। इस पर सम्यक् रूप से विचार कर अधिक से अधिक लोगों को लाभ प्रदान करने का प्रयास किया जाना चाहिए। राजस्व सचिव ने बताया कि पट्टे धारकों को लाभान्वित करने का शासनादेश जारी किया जा चुका है। ऐसे लोगों, जिनके अवैध कब्जे 1983 से पहले के हैं, उनके नियमितीकरण की कार्यवाही 18 फरवरी तक की जा सकती है। ऐसे प्रभावितों को नियमानुसार पूरा प्रतिकर दिया जाएगा। नए दिशा-निर्देशों का अध्ययन कर उसमें जो भी उचित कार्यवाही संभव होगी, की जाएगी।
जन अधिकार मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने बताया कि राजस्व सचिव से वार्ता सकारात्मक रही। जिन लोगों के पास पट्टे की जमीन है। उन्हें अब मुआवजा मिलेगा। इसके साथ ही चारधाम परियोजना संघर्ष समिति के आंदोलन के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 की दिसंबर 2018 में नई गाइड लाइन तैयार हुई है। जिसमें सरकारी जमीन पर मुआवजे का प्रावधान हो गया है। उन्होंने कहा कि राजस्व सचिव को गाइड लाइन की कॉपी सौंपी गई है, जिस पर राजस्व सचिव ने कहा कि इस मामले में जल्द कार्यवाही की जाएगी।
.इस अवसर पर जन अधिकार मंच के संस्थापक सदस्य और वरिष्ठ पत्रकार रमेश पहाड़ी, उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश सचिव प्रदीप बगवाड़ी, मंच के उपाध्यक्ष अजय पुंडीर, मंच के कोषाध्यक्ष बुद्धि बल्लभ ममगाईं, सह कोषाध्यक्ष कृष्णानंद डिमरी आदि मौजूद थे।