अपनों को गंवाने के बाद भी नहीं बना सपनों का उत्तराखण्ड
चार वर्ष पहले कर दी गई शहीद की मां की पेंशन बंद,
शहीद के परिजनों ने कहा, पलायन की समस्या से जूझ रहा पहाड़
रुद्रप्रयाग। जिले में राज्य स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया। जहां स्कूली छात्रों ने मुख्य बाजारों में रैली निकाली, वहीं जिला प्रशासन की ओर से अगस्त्यमुनि मैदान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राज्य आंदोलन में शहीद हुए आंदोलनकारियों के परिजनों को सम्मानित किया गया। इस दौरान आंदोलनकारियों ने अपना दर्द बयां कर सरकारों पर राज्य की दुर्दशा का आरोप लगाया।
राज्य आंदोलन में शहीद हुए विकासखण्ड ऊखीमठ निवासी अशोक कैशिव की माता धूमा देवी ने कहा कि सरकार की ओर से उनकी पेंशन लगाई गई थी, मगर वह पेंशन चार साल पहले ही बंद कर दी गई थी। शासन और प्रशासन को पत्राचार और कई की मुलाकात के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हो पाई। उनके बेटे ने राज्य आंदोलन में अपनी जान को गंवा दिया। युवावस्था में ही उनका जवान राज्य निर्माण के दौरान शहीद हुआ, बाजवूद इसके सरकार शहीदों के परिजनों को सिर्फ राज्य स्थापना पर एक शाॅल ओढ़ाकर इतिश्री कर रही है। छलकते आंसुओं से शहीद की माता ने कहा कि राज्य निर्माण के बाद भी उनके क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया है।
जिस उम्मीद और विकास को लेकर राज्य का निर्माण किया जाना था, वह सपना आज भी अधूरा है। बेंजी निवासी शहीद यशोधर बंेजवाल के पुत्र संदीप बेंजवाल ने कहा कि राज्य में पलायन का मुद्दा सबसे बड़ा है। आज ग्रामीण इलाकों की दुर्दशा का कारण सरकार है। राज्य निर्माण के बाद किसी भी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को लेकर कोई बड़ा कदम नहीं उठाया। मात्र जनता को वोट बैंक की राजनीति तक सीमित रखा गया। जनप्रतिनिधि अपना उल्लू सीधा करने के बाद जनता को भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि अब तक की सरकारों में कोई भी ऐसा नहीं रहा जिसने शहीदों के परिजनों के लिए कोई कार्य किया होगा।
राज्य आंदोलनकारी रमेश बेंजवाल का कहना है कि उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद नेताओं की मौज रही है। पहाड़ी जिलों में चुनाव जीतने के बाद नेताओं ने अपना आशियाना देहरादून में बनाया, जबकि पहाड़ की समस्या का विकास नहीं किया। आज के समय में ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन के कारण गांव खाली हो चुके हैं। जिले में दर्जनों गांव ऐसे हैं, जो जनशून्य के कारण जंगली जानवरों का आशियाना बन गये हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य निर्माण में शहीद हुए आंदोलनकारियों का सपना आज भी अधूरा है। वहीं जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि शहीद अशोक कैशिव की माता की पेंशन बंद होने का प्रकरण उनके संज्ञान में नही है। यदि ऐसा है तो शासन स्तर पर पत्राचार किया जायेगा और शहीद के परिजनों की हरसंभव मदद की जायेगी।