उत्तराखंड

सौंग बांध परियोजना को मिली पर्यावरणीय स्वीकृति..

सौंग बांध परियोजना को मिली पर्यावरणीय स्वीकृति..

उत्तराखंड: केंद्र ने बहुप्रतीक्षित 1,200 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनने वाली सौंग बांध परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति दे दी है जिसके बनने से देहरादून शहर और उसके उपनगरीय क्षेत्रों की 2050 तक की संभावित आबादी को पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित हो जाएगी। बांध परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति देने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अब इस महत्वपूर्ण परियोजना पर कार्य आरंभ हो सकेगा।

इस परियोजना को राज्य सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं में शामिल बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके बनने से देहरादून शहर व उसके उपनगरीय क्षेत्रों की 2050 तक की अनुमानित आबादी को ग्रैविटी आधारित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। इसके अलावा, इससे ऊर्जा उत्पादन में भी मदद मिलेगी और सिंचाई के लिये पानी की उपलब्धता से कृषि उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा। लगभग 1200 करोड़ रुपये की इस परियोजना के लिये नीति आयोग से वित्तीय मदद का आग्रह किया गया है।

 

 

कुछ समय पहले ही केंद्रीय जल आयोग ने इसके डिजाइन को मंजूरी दी थी। मूल रूप से सौंग नदी पर बनने वाले इस बांध की ऊंचाई करीब 148 मीटर है और इससे छह मेगावाट तक की बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। देहरादून में सौंधाना गांव के समीप प्रस्तावित यह परियोजना प्रदेश सरकार की सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है।

इसके साथ ही इस बांध के अतिरिक्त पानी को देहरादून में रिस्पना नदी में छोड़े जाने का प्रस्ताव भी तैयार किया गया है। रिस्पना को पुनर्जीवित करने के लिए प्रदेश सरकार ऋषिपर्णा के नाम से अभियान भी छेड़े हुए है।

केंद्र से भी मांगी है वित्तीय मदद..

प्रदेश सरकार के स्तर से करीब 1200 करोड़ की इस परियोजना के लिये नीति आयोग से वित्तीय मदद का आग्रह किया गया है। सौंग बांध की झील लगभग 76 हेक्टेयर की होगी।

 

 

प्रबंधन इकाई की जा चुकी है गठित..

सौंग परियोजना के काम में तेजी लाने के लिए हाल ही में प्रदेश सरकार की ओर से बांध परियोजना की प्रबंधन इकाई का गठन किया गया था। इसके तहत अभियंताओं को तैनाती दी गई है। सौंग परियोजना में पुनर्वास आदि का काम भी होना है। प्रबंधन इकाई को यही काम सौंपा गया है।

अब इस महत्वपूर्ण परियोजना पर कार्य शुरू होने में कठिनाई नहीं होगी। इस परियोजना से देहरादून शहर व उसके उपनगरीय क्षेत्रों की अनुमानित आबादी को ग्रेविटी आधारित पेयजल की आपूर्ति हो सकेगी। ऊर्जा उत्पादन में भी इससे मदद मिलेगी। सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता से कृषि उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा।

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