उत्तराखंड

मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के लिए एक महीने में आए 238 आवेदन

मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के लिए एक महीने में आए 238 आवेदन

उत्तराखंड: सोलर फार्मिंग ने प्रदेश में हरित ऊर्जा के साथ ही स्वरोजगार के द्वार खोल दिए। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कोरोना काल में  प्रवासियों को राहत देने को मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना प्रारंभ की। 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाओं के जरिये प्रदेश में 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है।

मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना में एक महीने में ही 238 आवेदन आए हैं। योजना के तहत जल्द ही उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण, उरेडा की ओर से आवंटन होने जा रहा है।

 

 

मुख्यमंत्री ने 15 अक्तूबर को सौर स्वरोजगार योजना की लांचिंग की थी। इसके तहत उत्तराखंड मूल के युवा 25 मेगावाट तक का सौर ऊर्जा प्लांट लगा सकते हैं। उनके द्वारा किए गए विद्युत उत्पादन को सरकार की ओर से खरीदने की यह योजना युवाओं के बीच प्रचलित होने लगी है। उरेडा से मिली जानकारी के मुताबिक, अभी तक 238 आवेदन आ चुके हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 60 आवेदन पौड़ी जिले के हैं।

दूसरे स्थान पर उत्तरकाशी और टिहरी है। तीसरे स्थान पर पिथौरागढ़ है। उरेडा के मुख्य परियोजना अधिकारी एके त्यागी ने बताया कि सभी जिलों के जिलाधिकारियों के स्तर से आवेदन प्रक्रिया की औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद जल्द ही पहले चरण का आवंटन होने जा रहा है।मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार के लिए आए ऑनलाइन आवेदनों में 126 अधूरे हैं। इनमें अल्मोड़ा के 15, बागेश्वर के दो, चंपावत के तीन, चमोली के नौ, देहरादून के 14, हरिद्वार के तीन, नैनीताल के 14, पौड़ी के 21, पिथौरागढ़ के सात, रुद्रप्रयाग के तीन, टिहरी के 18, ऊधमसिंह नगर के 10 और उत्तरकाशी के सात आवेदन शामिल हैं।

 

 

25 प्रतिशत तक मिलती है सब्सिडी..

सौर स्वरोजगार योजना के तहत सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों को पांच श्रेणी में बांटा है। इसके तहत श्रेणी-ए में पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली, चंपावत, रुद्रप्रयाग और बागेश्वर को रखा गया है। श्रेणी-बी में अल्मोड़ा, पौड़ी और टिहरी के पर्वतीय बहुल क्षेत्र, नैनीताल और देहरादून के पर्वतीय बहुल क्षेत्र शामिल हैं।

श्रेणी-बी प्लस में पौड़ी के दुगड्डा के कोटद्वार, सिगड्डी और इनसे जुड़े मैदानी क्षेत्र, टिहरी के फकोट के ढालवाला मुनिकीरेती, तपोवन और उससे जुड़े मैदानी क्षेत्र, नैनीताल के कोटाबाग का पूरा क्षेत्र और देहरादून के कालसी विकासखंड का क्षेत्र शामिल है। श्रेणी-सी में देहरादून के रायपुर, सहसपुर, विकासनगर व डोईवाला के समुद्रतल से 650 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र शामिल हैं।

 

इसके अलावा नैनीताल के रामनगर व हल्द्वानी भी इसी श्रेणी में आते हैं। श्रेणी-डी में हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के साथ देहरादून व नैनीताल का मैदानी क्षेत्र शामिल है। श्रेणी-ए में 25 प्रतिशत, श्रेणी-बी और बी प्लस में 20 प्रतिशत और श्रेणी सी व डी में 15 प्रतिशत की सब्सिडी सरकार की ओर से दी जा रही है।

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