घर हो या मंदिर सभी जगह श्री कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर खासा उत्साह है। जन्माष्टमी के लिए दून के मंदिरों को आकर्षक और भव्य तरीके से सजाया गया है।
देहरादून: नंद के लाल और ब्रजवासियों के प्राण प्रिय भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी द्रोणवासियों में सहज ही देखी जा सकती है। घर हो या मंदिर सभी जगह श्री कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर खासा उत्साह है। जन्माष्टमी के लिए दून के मंदिरों को आकर्षक और भव्य तरीके से सजाया गया है। घरों में भी व्रत और पूजन की विशेष तैयारियां की गई हैं।
श्याम सुंदर मंदिर, आदर्श मंदिर, पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर, सनातन मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, टपकेश्वर मंदिर, पंचायती मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर सहित दून के अन्य मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर विशेष तैयारियां की जा रही हैं। मंदिरों में भजन संध्या के आयोजन के साथ ही सुंदर झांकियां सजाई गई हैं। आचार्य डॉ. संतोष खंडूड़ी ने बताया कि जन्माष्टमी पर अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र व वृषभ लग्न का शुभ संयोग बन रहा है। उन्होंने बताया कि निशीथ काल में कृष्ण का घी, शहद, दूध, दही आदि से अभिषेक करें। उसके बाद मक्खन और मिश्री का भोग जरूर लगाएं। साथ ही बांके बिहारी को बांसुरी और मोरपंख जरूर अर्पित करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान के भोग में तुलसी का पत्ता अवश्य शामिल करें। बिना तुलसी पत्ते के भगवान को भोग न लगाएं। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन षोडशोपचार पूजा की जाती है, जो 16 चरणों में होती है। श्रीकृष्ण का ध्यान, आह्वान, आसन, पाद्य, अघ्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, चंदन, गंध, दीपक, नैवैद्य, तांबूल, दक्षिणा, आरती कर उन्हें भोग लगाएं।
राज्यपाल ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं दी
उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने प्रदेश वासियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने अपने संदेश में कहा, भगवान श्री कृष्ण कर्म योगी थे, उन्होंने “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन “ उपदेश दिया। उन्होंने मानव को फल की कामना से विरक्त रहते हुए अपना कर्म करने का उपदेश दिया। इसकी आज समाज और राष्ट्र को बड़ी आवश्यकता है। हम में से प्रत्येक नागरिक समाज और राष्ट्र के लिए अपना कर्म करे, अपने दायित्वों का निर्वहन करें एवं भारत वर्ष को और शक्तिशाली तथा समृद्ध बनाने में अपना योगदान दें।