पीपलकोटी को दिलाई पहचान, आज बने हैं प्रेरणास्रोत!
संजय चौहान
बीते एक पखवाड़े से देश में पकोड़े पर जोर-शोर से चर्चा हो रही है। चाय की दुकान से लेकर संसद तक पकोड़ी पर लोगों के मध्य बहस देखी जा सकती है। what’s App यूनिवर्सिटी से लेकर फेसबुक, कार्टून जगत से लेकर खबरनवीसों में पकोड़ा राष्ट्रीय मुद्दा बना हुआ है। इन सबके बीच आज ग्राउंड जीरो से आपको एक ऐसे ही व्यक्तित्व से रूबरू करवाते हैं जिन्होंने पकोडी से जरिए सफलता की सीढ़ियाँ खुद तय की।
जी हाँ सीमांत जनपद चमोली के बद्रीनाथ मार्ग में स्थित है पीपलकोटी नगर। जो पर्यटन और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र है। पीपलकोटी मुख्य बाजार में एक छोटी लेकिन बहुत प्रसिद्ध दुकान है शाहजी की पकोडी की दुकान। देश के अंतिम गाँव नीती-माणा से लेकर दिल्ली, पंजाब, कश्मीर तक इस दुकान के पकोडी की धूम है। स्थानीय लोगों से लेकर तीर्थयात्रीयों और सेना के जवान तक इनकी पकोडी के मुरीद हैं। जो एक बार खा लें तो हर बार जरूर यहां रूकता है पकोडी खाने के लिए। कई मर्तबा तो घरों के लिए भी लोग यहाँ की पकोडी को ले जाते हैं। शादी ब्याह से लेकर अन्य कार्यक्रमों में भी इनकी पकोडी की भारी मांग होती है।
गौरतलब है कि पीपलकोटी के ललित शाह का जीवन बेहद संघर्षरमय रहा है। जब वे 6 वीं कक्षा में थे तो उन्होंने पढ़ाई के साथ साथ अपने भाइयों की दुकान पर पकोडी बनानी शुरू कर दी थी। धीरे धीरे वे इसमें परांगत हो गये। स्नातक तक शिक्षा प्राप्त ललित शाह नें 1988- 91 तक वन विभाग में नौकरी की। जिसमें उन्हें 450 रूपये महीना तनख्वाह मिलती थी। नौकरी में मन नहीं लगने की वजह से उन्होंने नौकरी को छोड़ 1991 में मात्र 365 रूपये से पीपलकोटी में खुदा का व्यवसाय शुरू किया। जिसमें खाना से लेकर पकोडी शामिल था। उस समय 6 रूपये में एक प्लेट चावल, दाल, कड़ी, सब्जी और पकोडी दी जाती थी। बहुत कम समय मे ललित शाह की पकोडी लोगों के बीच छा गयी और ललित शाह को लोग पकोडी वाले शाहजी के नाम से जानने लग गये।
खुद बनाते है पकोडी के मसाले!
ललित शाह पिछले 28 सालों से पकोडी के मसाले और पकोडी स्वयं बनाते हैं। यही कारण है कि लोग आज भी उनकी बनाये पकोडी के मुरीद हैं। बकौल ललित शाह दो प्रकार की पकोडी हर रोज बनाई जाती है। पहली मिक्सर पकोडी जिसमें आलू, गोबी, पालक, मिर्च सहित अन्य सामग्री डाली जाती है जबकि दूसरी आलू मूंग दाल पकोडी। पकोडी के साथ चटनी जिसमें धनिया पत्ती, हरी मिर्च, टमाटर, आमचूर सहित विभिन्न सामग्री डालकर तैयार की जाती है। तब जाकर मनपसंद स्वाद की खुशबू तैयार होती है। विगत 28 सालों से वे स्वयं पकोडी, मसाला और चटनी बनाते हैं।
पीपलकोटी को दिलाई पहचान और लोगों को रोजगार!
शाहजी की पकोडी की दुकान नें पीपलकोटी को पहचान दिलाई तो वहीं 7 लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया है। इसके अलावा उनके परिवार और बच्चों की पढाई का पूरा खर्चा इसी दुकान से चलता है।
ललित शाह जी से लंबी गुफ्तगु पर वे कहते हैं कि अधिकतर लोग उनका नाम तक नहीं जानते सब उन्हें पकोडी वाले शाहजी कहकर पुकारते हैं। कहते हैं की यदि अपने पर विश्वास और मेहनत पर भरोसा हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है। मुझे खुशी है कि 28 साल पहले शुरू किये गये कार्य से मैं आज पूरी तरह संतुष्ट हूँ।
वास्तव में देखा जाए तो वर्तमान में जिस तरह से देश मे आमजन से जुड़े व जनहित के मुद्दों को हाशिए पर रखकर पकोडी पर सियासत हो रही है वह दुःखद है। ऐसे मे शाहजी की पकोडी की दुकान और पकोडी वाले ललित शाह जी उन लोगों के लिए एक नजीर हैं जिन्हें पकोडी में केवल राजनीति दिखाई देती है रोजगार नहीं। आइये इनसे सीखें !