दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में कराया इलाज
बीड़ी पीने से बीमारी में पैर के अंगूठे गवाएं
यदि फिर बीड़ी पी तो काटने पडेंगे पैर
रुद्रप्रयाग। पिछले 20 साल से बीड़ी पीने से रहस्यमयी बीमारी के शिकार शिशुपाल की मदद के लिए यूथ फाउंडेशन के संस्थापक ट्रस्टी संजय गोयल आगे आए। वह शिशुपाल को इलाज के लिए दिल्ली ले गये और उसका इलाज सफदरजंग अस्पताल में कंसल्टेंट सर्जन डा. एसवी आर्य ने किया। शिशुपाल को अब डिस्चार्ज कर दिया गया है। डाक्टरों ने उसे हिदायत दी है कि यदि उसने दोबारा से बीड़ी पी तो उसके पैर काटने पड़ सकते हैं।
शिशुपाल की बीमारी ऐसी है कि लंबे समय तक बीड़ी पीने से उसके पैरों की नसों में खून नहीं पहुंच सका और उसके दोनों अंगूठों को काटना पड़ा। इसके बावजूद वह बीमारी से ग्रस्त रहा। रुद्रप्रयाग के युवा पत्रकार मोहित डिमरी ने शिशुपाल के बारे में मीडिया में बताया। इसके बाद यूथ फाउंडेशन के ट्रस्टी संजय गोयल ने शिशुपाल को अस्पताल में इलाज के लिए दाखिल करवाया। इस दौरान शिशुपाल के विभिन्न तरह के टेस्ट जैसे डाॅप्लर एक्सरे, लिपिड प्रोफाइल, इको, केएफटी समेत कई तरह के परीक्षण किये गये। इसके बाद उसे दवाएं देकर डिस्चार्ज कर दिया गया।
गौरतलब है कि संजय गोयल के आदर्श निम के प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल हैं। कर्नल कोठियाल ने ही संजय गोयल को मोटिवेट किया कि वह दिल्ली में रहकर समाज के गरीब वर्ग के लिए जितना संभव हो, उतना कार्य कर सकें। संजय गोयल ने पहले भी रुद्रप्रयाग की एक यतीम लड़की की शादी करवाने में मदद की थी। इसके अलावा सांकरी के निकटवर्ती गांव ओसला की दो लड़कियों का इलाज भी सफदरजंग अस्पताल में करवाया।
गौरतलब है कि शिशुपाल लाल मूल रूप से रुद्रप्रयाग के चाका-फलाटी गांव का निवासी है। उस पर कुदरत की दोहरी मार पड़ी। एक ओर तो केदारनाथ आपदा में उसका घर ढह गया था तो बीमारी से उसके दोनों पैरों के अंगूठे कट गये थे। यदि यह इलाज नहीं मिलता तो उसके पैरों की सभी उंगलियों को काटना पड़ता। उसके दोनों पैरो में इन्फेशन होने लगा था और धीरे-धीरे पैरों की हड्डियां गलने लगी है और घाव तेजी से फैल रहा था। शिशुपाल मजदूरी करता है और उसका एक बेटा और दो बेटियां हैं जो कि स्कूल में पढ़ रहे हैं।