उत्तराखंड

सल्ट उपचुनाव- भाजपा बचाएगी सीट या कांग्रेस को मिलेगी जीत..

सल्ट उपचुनाव- भाजपा बचाएगी सीट या कांग्रेस को मिलेगी जीत..

उत्तराखंड: सल्ट विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए मतदान शनिवार को संपन्न हो गया। औसत से कम मतदान को भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही अपने-अपने पक्ष में मानकर चल रही हैं। हालांकि यह भी सच है कि उपचुनाव में अमूमन मतदान प्रतिशत औसत से कम ही रहता है। सूबे में व्यापक वजूद रखने वाले इन दोनों ही दलों के लिए अलग-अलग कारणों से यह उप चुनाव खासा अहम है। अब देखना ये होगा कि चुनाव नतीजे का ऊंट किस करवट बैठता है, यह मतगणना के बाद सामने आ जाएगा। आपको बता दे कि सल्ट विधानसभा सीट भाजपा के विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के असामयिक निधन के कारण रिक्त हुई थी। भाजपा ने इस सीट पर स्व जीना के भाई महेश जीना को ही मैदान में उतारा हैं।

 

दरअसल, पार्टी की रणनीति जीना के निधन से उपजी सहानुभूति को चुनाव में भुनाने की रही। इससे पहले भी इसी विधानसभा में हुए दो उप चुनावों में भी भाजपा यही रणनीति अमल में लाई थी। तब पार्टी ने दिवंगत हुए विधायकों की पत्नी को प्रत्याशी बनाया था और दोनों उप चुनावों में जीत भी दर्ज की थी। उधर, कांग्रेस ने भी गंगा पंचोली पर ही दांव खेला। दरअसल, गंगा पंचोली पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी थीं और तब भाजपा प्रत्याशी को उन्होंने कड़ी टक्कर दी थी। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही चुनाव में पूरी ताकत झोंकी।

 

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के अलावा कई मंत्री और संगठन के पदाधिकारी प्रचार अभियान का हिस्सा बने। उधर, कांग्रेस के लिए प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने सल्ट को पूरा वक्त दिया तो प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश समेत कई बड़े नेता प्रत्याशी के पक्ष में मैदान में उतरे। अंतिम दिन पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने तीन जनसभाएं कर पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाने में अहम भूमिका निभाई।

 

अगले विधानसभा चुनाव को अब आठ-नौ महीने का ही वक्त शेष है। इस लिहाज से सल्ट उपचुनाव का नतीजा भाजपा और कांग्रेस के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहेगा। भाजपा चाहती है कि पार्टी विधायक के निधन से खाली हुई यह सीट फिर उसी के खाते में आए। इसके अलावा मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व में भाजपा ने पहला चुनाव सल्ट में ही लड़ा।

 

साथ ही सल्ट के नतीजे से भाजपा सरकार के चार साल के कामकाज का आकलन भी होगा। दूसरी तरफ, कांग्रेस चाहती है कि अगले विधानसभा चुनाव से पहले एक उपचुनाव जीत कर पार्टी बढ़े हुए मनोबल के साथ तैयारियों में जुटे। उसकी भरसक कोशिश है कि 70 सदस्यीय विधानसभा में उसका आंकड़ा 11 से बढ़कर 12 तक पहुंच जाए।

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