उत्तराखंड

गैरसैंण राजधानी के लिए दस अक्तूबर से शुरू होगी जन संवाद यात्रा

गैरसैंण राजधानी के लिए दस अक्तूबर से शुरू होगी जन संवाद यात्रा
पंचेश्वर से शुरू होगी यात्रा, 25 अक्तूबर को उत्तरकाशी में होगा समापन

रुद्रप्रयाग। गैरसैंण राजधानी की मांग को लेकर स्थायी राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति दस अक्तूबर से जन संवाद यात्रा निकालने जा रही है। यात्रा पिथौरागढ़ के पंचेश्वर से शुरू होगी और उत्तरकाशी में यात्रा का समापन होगा। संघर्ष समिति ने यात्रा की तैयारी पूरी कर दी है। सभा को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और आंदोलनकारी रमेश पहाड़ी ने कहा कि लगभग 47 वर्षों की मांग और 42 शहादतों के बाद हमें उत्तराखंड राज्य मिला है। उत्तराखंड की अब तक की नौ सरकारें स्थायी राजधानी के निर्माण की दिशा में कोई मजबूत कदम उठाने में असफल रही है।

पत्रकारों से वार्ता करते हुए संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि जन संवाद यात्रा के दौरान गैरसैंण राजधानी के अलावा परिसीमन, जल, जंगल और जमीन, पंचायती राज एक्ट, भू-प्रबंधन कानून, बेरोजगारी समेत अन्य सवालों पर जनता को जागरूक किया जाएगा। उत्तराखंड राज्य आंदोलन की तर्ज पर एक और आंदोलन खड़ा किये जाने के लिए जनता को लामबंद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में लोकसभा और राज्यसभा का परिसीमन जनसंख्या के स्थान पर क्षेत्रफल के आधार पर होना चाहिये और जिलों का नया परिसीमन कर नये जिले सृजित किये जाने चाहिए। लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही।

पिछले 18 सालों में जनविरोधी नीतियों के चलते लोगों को पहाड़ से खदेड़ने के लिये मजबूर किया गया है। जनता इस बात को समझने लगी है कि गैरसैंण विकास के विकेन्द्रीकरण का रास्ता है। राजधानी बनने से ही पहाड़ का अस्तित्व बचेगा। मोहित ने कहा कि सवाल सिर्फ गैरसैंण राजधानी का नहीं है, सवाल पहाड़ बचाने का है। गैरसैण राजधानी बनती है तो नीतियाँ पहाड़ की भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार बनेंगी। उन्होंने कहा कि अब यह लड़ाई तभी खत्म होगी, जब राजधानी गैरसैंण बनेगी। बड़ी संख्या में युवा राजधानी आंदोलन से जुड़ रहे हैं। महिलायें भी आंदोलन में कूदने के लिए तैयार हैं।

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