केदारनाथ फिल्म के निर्देशक का किया पुतला दहन..
फिल्म को बताया धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़..
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ फिल्म का टीजर रिलीज होते ही विवादों का दौर भी शुरू हो गया है। जगह-जगह फिल्म का विरोध किया जा रहा है। सतेराखाल में स्थानीय जनता ने केदारनाथ फिल्म के निर्देशक एवं अभिनेता व अभिनेत्री का पुतला फूंका। वही केदारघाटी में भी कहीं जगहों गुप्तकाशी,लमंगोड़ी,गौरीकुंड,फाटा समेत आदि जगहों पे फिल्म का विरोध पुतला जला के किया गया साथ ही फिल्म के निर्देशक,अभिनेता व अभिनेत्री के मुर्दाबाद के नारे भी लगाए।
केदारघाटी में जगह जगह हुआ फिल्म का विरोध…
केदारघाटी के स्थानीय युवाओं ने स्थानीय जनता को एकत्रित किया और जगह जगह पे फिल्म का विरोध किया, स्थानीय युवाओं का कहना है की फिल्म को काल्पनिक कथा बना के गलत तरीके से दिखाया जा रहा है जिस से केदारनाथ धाम की धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड किया जा रहा है , फिल्म केदारनाथ बनाने वालों ने अगर केदरानाथ आपदा की त्रासदी के दंश को महसूस किया होता तो शायद वह कल्पना पर एक बेतुकी अभद्र किस्म की फिल्म नहीं बनाते..
सतेराखाल से भी फिल्म का विरोध…
सामाजिक कार्यकर्ता गम्भीर सिंह बिष्ट के नेतृत्व में स्थानीय जनता सतेराखाल बाजार में एकत्रित हुई और केदारनाथ फिल्म का विरोध करना शुरू किया। श्री बिष्ट ने कहा कि फिल्म के टीजर देखने से साफ प्रतीत होता है कि फिल्म बनाने वालों ने हिन्दू धर्म की आस्था व स्थानीय जनभावनाओं का अपमान किया है। बहुत लम्बे समय से सभी केदारनाथ फिल्म का इंतजार कर रहे थे, लेकिन कुछ दिन पहले ही आये इस फिल्म के टीजर से साफ हो गया है कि इस फिल्म की कहानी का केदारनाथ आपदा से कोई लेना देना नहीं है, बल्कि सिर्फ और सिर्फ स्थानीय जनता व पूरे हिन्दू समाज की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना मात्र है।
टीजर में दिखाये गये व फिल्माए गये दृश्यों में प्रेमी जोड़े का प्रेम प्रसंग को किस नीचता से फिल्माया गया है, यह बखूबी दिख रहा है। किस तरह से मुस्लिम लड़के व हिन्दू युवती की प्रेम कहानी को दिखाया गया है, जबकि दुनिया जानती है कि इस तबाही में हजारों लोग काल के ग्रास में समा गये थे। कई घर के घर बर्बाद हुए। किसी ने अपने माता-पिता खोये तो किसी ने अपना बेटा, किसी ने अपना भाई, किसी ने अपनी बहिन, किसी ने अपना सुहाग और किसी ने अपना सब कुछ और तो और किसी का कोई नामलेवा इस दुनिया में नहीं रहा। स्थानीय लोगों का सब कुछ बर्बाद हो गया। उनके आशियाने, रोजगार, भविष्य के सपने सब कुछ एक झटके में खत्म सा हो गया। इस मौके पर कृष्ण, आलोक, अजीत, मोहन सजवाण, केतन, डीके , दीक्षराज रावत,दयाल सिंह, गोपाल सिंह, मोहन बुटोला, चरण सिंह, विक्रम सिंह, यशवंत सिंह, दर्मान सजवाण, छतर सिंह, प्रवीण सिंह आदि मौजूद थे।