उत्तराखंड

स्वाइन फ्लू से उत्‍तराखंड में एक और मौत , तीन लोगो की मौत…

स्वाइन फ्लू से उत्‍तराखंड में एक और मौत , तीन लोगो की मौत…

देहरादून : स्वाइन फ्लू की बीमारी फैलाने वाला वायरस एच-वन एन-वन अब दिन प्रतिदिन घातक होता जा रहा है। इसकी चपेट में आने वाले मरीजों की जान सासत में है। स्वाइन फ्लू के कारण प्रदेश में एक और मरीज की मौत हो गई है। यानी शुरुआती चरण में ही स्वाइन फ्लू ने अब तक तीन मरीजों की जिंदगी लील ली है।

जानकारी के अनुसार पटेलनगर स्थित श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में भर्ती एक और मरीज की मौत स्वाइन फ्लू के कारण हो गई है। मरीज विकासनगर का रहने वाला था। उसे शुक्रवार रात को मरीज को इमरजेंसी में भर्ती किया गया था, जहा पर आइसीयू में उसका उपचार चल रहा था। मरीज को पिछले दो दिन से तेज बुखार, कफ व सास लेने में दिक्कत हो रही थी।

उसने शनिवार को उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। स्वाइन फ्लू के कारण प्रदेश में दस दिन के भीतर यह तीसरी मौत है। इससे पहले बीती तीन जनवरी को मैक्स अस्पताल में प्रेमनगर निवासी एक मरीज की मौत हुई थी और उसके बाद बीते शुक्रवार को भी श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में ही हरिद्वार निवासी 41 वर्षीय महिला मरीज की मौत स्वाइन फ्लू के कारण हुई थी। जबकि स्वाइन फ्लू से पीड़ित पाच मरीज श्री महंत इंदिरेश, सिनर्जी व मैक्स अस्पताल में भर्ती हैं। शुरुआती चरण में ही स्वाइन फ्लू के बढ़ते कहर से स्वास्थ्य विभाग में हडकंप मचा हुआ है।विभागीय अधिकारी वायरस के जिन लक्षणों को सामान्य स्थिति बता रहे हैं, वही लक्षण जानलेवा साबित हो रहे हैं। इतना जरूर कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों को एहतियात बरतने के निर्देश जारी किए गए हैं। स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए अलग वार्ड बनाने के निर्देश भी दिए गए हैं। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता का कहना है कि सभी अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि स्वाइन फ्लू से पीड़ित मरीजों के उपचार में किसी भी तरह की लापरवाही न बरती जाए। स्वाइन फ्लू का मामला सामने आने पर इसकी सूचना तत्काल सीएमओ कार्यालय को दें। उन्होंने कहा कि लोगों को स्वाइन फ्लू से घबराने की नहीं बल्कि एहतियात बरतने की आवश्यकता है।

एसएमआइ अस्पताल ने किया बेहतर उपचार का दावा

पिछले दो दिन में श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में स्वाइन फ्लू पीड़ित दो मरीजों की मौत हो चुकी है। बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन मरीजों को बेहतर उपचार देने का दावा कर रहा है। शनिवार को चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनय राय ने दावा किया कि स्वाइन फ्लू की आमद के साथ अस्पताल में 12 बेड का अलग वार्ड बनाया गया है। मेडिसिन विभाग के डॉ. जगदीश रावत को नोडल अधिकारी बनाया गया है। स्वाइन फ्लू की जांच के लिए अस्पताल में सेंट्रल मॉलीक्यूलर रिसर्च लैब भी है। लैब से सैंपल की जांच छह से आठ घंटे में आ जाती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसी सरकारी या निजी अस्पताल में उपचार कराने वाले मरीज के सैंपल की जांच इस लैब में की जा सकती है। स्वाइन फ्लू की जांच के लिए सैंपल दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल भेजे जाते हैं। क्योंकि इस लैब में सैंपल की जांच निश्शुल्क होती है। हालांकि दिल्ली स्थित एनसीडीसी से सैंपल की जांच रिपोर्ट में आने में तीन-चार दिन का वक्त लग जाता है।

स्वाइन फ्लू, इनफ्लुएंजा (फ्लू वायरस) के अपेक्षाकृत नए स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस से होने वाला संक्रमण है। इस वायरस को ही एच1 एन1 कहा जाता है। इसे स्वाइन फ्लू इसलिए कहा गया था, क्योंकि सुअर में फ्लू फैलाने वाले इनफ्लुएंजा वायरस से यह मिलता-जुलता था। स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है। कई बार यह मरीज के आसपास रहने वाले लोगों और तीमारदारों को भी चपेट में ले लेता है। किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाए रखना चाहिए, स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए।

क्या हैं लक्षण : नाक का लगातार बहना, छींक आना ,कफ, कोल्ड और लगातार खांसी , मांसपेशियों में दर्द या अकड़न , नींद न आना, ज्यादा थकान , दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढ़ना , गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना।

ऐसे करें बचाव

स्वाइन फ्लू से बचाव इसे नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी उपाय है। इसका उपचार भी मौजूद है। लक्षणों वाले मरीज को आराम, खूब पानी पीना चाहिए। शुरुआत में पैरासिटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं। बीमारी के बढ़ने पर एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिविर (टैमी फ्लू) और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है।

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