उत्तराखंड

देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थपुरोहितों के आंदोलन का आज एक महीना पूरा..

देव स्थानम बोर्ड के विरोध में केदारघाटी के लोगों ने किया तहसील घेराव ...

देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थपुरोहितों के आंदोलन का आज एक महीना पूरा..

उत्तराखंड: देवस्थानम् बोर्ड का विरोध कर रहे तीर्थपुरोहितो, प्रधान संघ, मजदूर संघ और केदारघाटी के अन्य स्थानीय लोगों का सब्र अब टूटता नजर आ रहा है। केदारनाथ ,बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री मे लगातार विरोध जारी है। अब नये मुख्यमंत्री पुष्कर सिह धामी से युवा मुख्यमंत्री होने के नाते उम्मीद लगाई जा रही है की वो जल्द से जल्द धार्मिक एवम् जन भावनाओ के अनुरूप इस देवस्थानम् बोर्ड को वापिस लेंगे केदारनाथ के तीर्थ पुरोहितो ने आज गुप्तकाशी और उखीमठ मे भी देवस्थानम् बोर्ड का विरोध किया। उखीमठ मे प्रदर्शन के बाद तहसील प्रशासन के माध्यम से मुख्यमत्री को ज्ञापन भेजा गया। केदारनाथ मंदिर प्रांगण मे भी कोविड नियमो के पालन के साथ धारण कर प्रदर्शन किया गया ।

 

गुप्तकाशी केदारनाथ सहित ग्रामीण क्षेत्रो मे भी अब देवस्थानम् का विरोध तेज हो गया है। विरोध की आग अब गांव गांव तक पहुचने लगी है ग्रामीण क्षेत्रो मे भी जगह जगह पुतला दहन कर विरोध जताया जा रहा है। विनोद शुक्ला केदार सभा अध्यक्ष , कुबेर पोस्ती , जिला पंचायत अध्यक्ष सुमन्त तिवारी , गणेश तिवारी ,बबीता सजवाण, देवेश नौटियाल, केशव तिवारी लक्ष्मण सिंह रावत , उमेश पोस्तीअन्य क्षेत्रीय हजारों युवा तीर्थ पुरोहित और आंदोलनकारियो ने सरकार पर आरोप लगाते हुये कहा की हिन्दू धर्मावलंबी होने का दिखावा करने वाली ये सरकार पूंजीपतियों के दबाव मे परम्पराओं और धार्मिक हितो पर कुठाराघात करने पर तुली है।

 

सनातन धर्म में किसी भी मंदिर के गर्भगृह का पवित्र स्थान होता है और उसकी अपनी मर्यादा होती है। श्री बद्रीनाथ धाम आदि शंकराचार्य जी द्वारा स्थापित है और अनादि काल से अलग अलग कालखंडों में भी शास्त्र अनुसार स्थापित मर्यादाओं को संरक्षित रखा गया है। आपकी पूर्ववर्त संस्था द्वारा भी बद्रीनाथ मंदिर के गर्भ गृह का चित्रण तक वर्जित था। श्री बद्रीनाथ जी के गर्भ गृह का जो सजीव प्रसारण आरती दर्शन करवाया जा रहा है ।सरकार की नजर अब बद्री केदार की जमीनो और यहा आस्थावान लोगो द्वारा दिये जाने वाले चढावे पर है ।

आंदोलनकरियो ने चेतावनी देते हुये कहा की यदि शीध्र ही देवस्थानम् वोर्ड को वापिस नही लिया गया तो देश भर के मंदिर एवम् धार्मिक संस्थाओ से समर्थन जुटा कर इसका विरोध किया जायेगा।केदारनाथ में बारिश और ठंड में भी तीर्थपुरोहित धरने पर डटे हुए हैं। धाम में हो रही बारिश के बावजूद तीर्थपुरोहित मंदिर परिसर में नारेबाजी के साथ सरकार से बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहे हैं। देवस्थानम बोर्ड के सहारे सरकार उत्तराखंड के चारधाम पर कब्जा कर यहां की पूजा पद्धति को बदलना चाहती है।

 

देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थपुरोहितों के आंदोलन को एक माह का समय हो गया है। आज १४ जुलाई को केदारनाथ सहित केदारघाटी में तीर्थ पुरोहितो और स्थानीय जनता द्वारा आंदोलन को उग्र रूप दिया गया जिसमे गुप्तकाशी मार्केट से ऊखीमठ तहसील तक सरकार विरोधी नारे और भाजपा सरकार की नाकामियां जनता गिनवाती रही। वही चारधाम में गंगोत्री यमनोत्री केदारनाथ बद्रीनाथ में आज भाजपा सरकार के खिलाफ देवस्थानम बोर्ड को जबरदस्ती थोपने के लिए स्थानीय लोगो के हक़ – हुकुम छीने गए , वही चारधामों के तीर्थपुरोहित सरकार के इस फैसले से और देवस्थानम बोर्ड को रद न करने की मंशा का परिणाम भाजपा सरकार को २०२२ में देखने को मिलेगा

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