रुद्रप्रयाग। जिले में तैनात अधिकांश विभागों के अधिकारियों को बैठकों से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि अधिकारी बैठक में तो पहुंच जाते हैं, लेकिन उनका ध्यान सिर्फ फेसबुक, व्टसअप पर रहता है और यह सब जिलाधिकारी के सामने हो रहा है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है अधिकारी किस तरह से अपने कार्यों के प्रति गंभीर होंगे। जब वह वैठकों में ध्यान नहीं दे रहे हैं तो ग्राउंड पर क्या कार्य करते होंगे।
जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल की अध्यक्षता में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वजल आदि विभागों की मासिक समीक्षा जैसी महत्वपूर्ण बैठक में अधिकतर अधिकारी फेसबुक और व्ट्टसएप पर मशगूल पाए गए। हालांकि इस बात की जानकारी जिलधिकारी को नहीं थी, लेकिन जब मीडिया ने जिलाधिकारी का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया तो उन्होंने भी स्वीकार किया कि यह गम्भीर मामला है और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।
जिला सभागार में शिक्षा की गुणवत्ता तथा उसमें आने वाली कमियां को दूर करने के लिए शिक्षा विभाग के शिक्षा अधिकारी खण्ड शिक्षा अधिकारी, सीआरसी आदि की समीक्षा बैठक की जा रही थी, साथ ही स्वास्थ्य और बाल विकास के अधिकारियों के साथ ही राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत गठित की गई आर बी सी टीमों के सदस्य भी मौजूद थे। बैठक में कुपोषित, विकलांग तथा गर्भवती महिलाओं की देख रेख हेतु आंगनबाड़ी व आशाकार्यकत्रियों की समीक्षा तथा सुझाव दिये जाने थे कि इसमें क्या हो सकता है और आने वाली कमियों में किस तरह सुधार लाया जा सकता है। लेकिन बैठक में होने वाली चर्चा व जिलाधिकारी के दिशा निर्देर्शों पर शायद ही किसी अधिकारी का ध्यान रहा होगा।
अधिकतर अधिकारी कर्मचारी मोबाईल फोनों पर मस्त हो रखे थे। ऐसे में यह सवाल उठाना भी स्वाभाविक है कि जब जिलाधिकारी की अध्यक्षता में होने वाली मत्वपूर्ण बैठकों में ध्यान नहीं दे रहे हैं तो स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई का आलम क्या रहता होगा। इसी तरह बैठक में बाल विकास के अधिकारी की भी कई संगीन शिकायतें सामने आई। विकलांग कुपोषित और अन्य बीमार बच्चों को सरकारी आंकड़ों से ही नदारद कर रखा है जबकि गर्भवती महिलाओं की भी कोई सुध नहीं ली जा रही है। ऐसे में जब जिलाधिकारी के नाक के नीचे ही अधिकारी गुल खिला रहे हैं तो ग्राउण्ड जीरों की स्थिति क्या होगी इसका अनुमान लगाया जा सकता है।