लॉकडाउन में नोट छापने वाली मशीन बंद हुई तो कहां से आई करेंसी..
कोविड-19 के लॉकडाउन में नोट छापने वाली मशीनें भी बंद हो गई थीे। बैंक नोट प्रेस ‘देवास’ और करेंसी नोट प्रेस ‘नासिक’ में 23 मार्च से छपाई का कामकाज रोक दिया गया। भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (बीआरबीएनएमएल) प्रेस में उत्पादन गतिविधियां 23 मार्च से तीन मई तक स्थगित कर दी गई थीं। बीआरबीएनएमएल ने बैंक नोटों का मुद्रण चार मई को दोबारा से शुरू किया है।
लॉकडाउन लागू होने के बाद बैंकों में करेंसी का स्तर कम न हो, इसके लिए नोट छापने वाली प्रेस भंडारण की मदद ली गई। वहां से करेंसी लेकर बड़े शहरों में पहुंचाई गई, भारतीय रेलवे ट्रेजरी वैगन ने प्रिंटिंग प्रेस में उपलब्ध नोटों के भंडार से आरबीआई कार्यालयों,करेंसी चेस्टों को अनवरत रूप से नोटों की आपूर्ति सुनिश्चित की। भले ही उस वक्त रेल के पहिये पूरी तरह थम चुके थे, लेकिन रेलवे ने नोट पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेजरी वैगन चलाईं।
भारत प्रतिभूति मुद्रण और मुद्रानिर्माण निगम लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) ने सूचित किया है कि उनकी प्रेसों में बैंक नोटों का मुद्रण कोविड-19 के कारण प्रभावित हुआ था। एसपीएमसीआईएल की दोनों बैंक नोट प्रेसों अर्थात करेंसी नोट प्रेस, नासिक और बैंक नोट प्रेस, देवास को लॉकडाउन के चलते 23 मार्च को बंद कर दिया गया। करेंसी नोट प्रेस, नासिक और बैंक नोट प्रेस, देवास ने क्रमश: 8 जून और एक जून से संपूर्ण उत्पादन गतिविधियां पुन: प्रारंभ कर दी थीं।
भारतीय रिजर्व बैंक ने सूचित किया है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण देशभर में लॉकडाउन को देखते हुए, नोटों की मुद्रण अस्थायी रूप से रोक दी गई थी। तथापि, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार, नोट प्रिंटिंग प्रेसों ने चरणबद्ध तरीके से उत्पादन दोबारा से शुरू कर दिया है।
लोकसभा सदस्य चंद्र शेखर साहू और डॉ. प्रीतम गोपीनाथ राव मुंडे द्वारा सदन में पूछे गए सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने उक्त जानकारी दी है।