इन्द्रेश मैखुरी
सोशल मीडिया। जिस दिन नितिश कुमार ने भाजपा के साथ 17 साल पुराना गठबंधन नरेंद्र मोदी के विरोध के नाम पर तोड़ा, नरेंद्र मोदी उस दिन या उससे दो-चार दिन पहले भाजपा में शरीक नहीं हुए थे. जिस गुजरात दंगे में नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए वे भाजपा से अलग हुए और स्वयं को धर्मनिरपेक्षता का सबसे बड़ा झंडाबरदार साबित कर रहे थे, उसी गुजरात दंगे वक्त तो वे केंद्र की भाजपा सरकार में रेल मंत्री थे. उस समय एक शब्द भी वे गुजरात नरसंहार पर नहीं बोले थे.
आज भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने के नाम पर नितिश कुमार ने लालू यादव के साथ गठबंधन तोड़ दिया. तो क्या लालू पर भ्रष्टाचार के आरोप इन बीस महीनों में ही लगे? जी नहीं, लालू यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप तो उस महागठबंधन बनने के वक्त से कहीं पहले से थे. चारा घोटाले में लालू यादव को निचली अदालत से सजा भी हो चुकी थी. लेकिन जैसे गुजरात दंगों के लगभग डेढ़ दशक तक भाजपा और नरेंद्र मोदी से नितिश कुमार को कोई दिक्कत नहीं हुई, उसी तरह चुनाव से ऐन पहले लालू यादव के भ्रष्टाचार से भी नितिश जी को कोई दिक्कत नहीं हुई. नितिश बाबू के द्वारा ही गढ़ी गयी श्रेणियों के हिसाब से देखें तो वे
साम्प्रदायिकों के साथ भी सत्ता के समंदर में गोते लगाते रहे हैं और भ्रष्टाचारियों के साथ भी भी मलाई उड़ाते रहे हैं. नितिश जी, आपकी ट्यूबलाइट भी कमाल है! कभी दशकों में जलती है और तब आपको ख्याल आता है कि अरे आप तो साम्प्रदायिकों के साथ थे, तो कभी महीनों में जलती है और आप हडबडा उठते हैं कि अरे आप ये भ्रष्टाचारियों के साथ कैसे आ फंसे ! पर जलने में दशकों-महीनों लगाने वाली आपकी इस दिमाग की बत्ती का कमाल यह है कि यह रौशनी सिर्फ आपकी मुख्यमंत्री की गद्दी पर ही डालती है.