गढ़वाली सैनिकों पर था सुभाष चंद्र बोस के बंगले की सुरक्षा का जिम्मा..
उत्तराखंड: भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश सरकार को हिला देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली आजाद हिंद फौज का जब 1941 में गठन हुआ तो उसमें 2500 गढ़वाली जांबाज सैनिक भी थे। इसका नाम इंडिया इंडिपेंडेंट लीग था। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 40 हजार सैनिकों की आजाद हिन्द फौज में 2500 गढ़वाली सैनिक थे, जिन्होंने अपने रण कौशल और देश की आजादी के जज्बे से नेताजी को बहुत प्रभावित किया। गढ़वाली सैनिकों पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस का इतना विश्वास था कि उनके बंगले की 24 घंटे सुरक्षा दीवार के तौर पर चुनिन्दा सुरक्षा सैनिकों में चमोली के 11 ऐसे सैनिक थे, जिनकी नजरों से बचकर परिंदा तक पर नहीं मार सकता था।
23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है। इस साल नेताजी की 125वीं जयंती की वर्षगांठ है। आजाद हिंद फौज के बारे में बताते हुए गढ़वाली सैन्य परम्परा के जानकार और सैन्य इतिहास के लेखक का कहना हैं। कि 1941 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इंडिया इंडिपेंडेंट लीग बनाई, जिनमे पांच हजार रणबांकुरों में 2500 गढ़वाली सैनिक भी थे। इस फौज का नाम इंडिया इंडिपेंडेंट लीग रखा गया था। शिवराज भारतीय सेना में सैन्य अधिकारी रह चुके हैं। उन्होंने नेताजी की जयंती पर उन्हें नमन भी किया।
सिंगापुर में युद्ध के दौरान जापान द्वारा ब्रिटिश आर्मी के 75 हजार सैनिक बंदी बनाये गए। इन्हीं में से 40 हजार युद्ध बंदी सैनिकों को अंग्रेज सरकार के ही विरुद्ध खड़ा करके नेताजी ने फौज तैयार की। तब इसमें 2500 गढ़वाली सैनिक थे।रावत बताते हैं कि लगभग 600 गढ़वाली सैनिक वर्मा और सिंगापुर के मोर्चे पर अंग्रेज सरकार और उसकी सेना से लड़ते हुए शहीद हुए थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली आजाद हिन्द फौज में अकेले चमोली जिले से ही 548 सैनिक थे। शिवराज बताते हैं कि आजाद हिंद फौज की प्रथम डिवीजन में पहली बटालियन गढ़वालियों की ही थी।