उत्तराखंड

नमसा योजना से कृषकों की आय में होगी वृद्धि..

मनरेगा से कन्वर्जेन्स से आम जन को होगा दोहरा लाभ..

डीएम ने ली नमसा योजना के तहत अधिकारियो की बैठक..

रुद्रप्रयाग: कृषकों के प्रति जिलाधिकारी बेहद संवेदनशील हैं। उन्होंने आम जन की आर्थिकी को सशक्त करने के लिए आजीविका से जुड़े विभागों कृषि, उद्यान, पशुपालन आदि विभागों के अधिकारियों को सरकार द्वारा संचालित जनकल्याणकारी योजनाओं से ससमय जोड़कर अधिक से अधिक लाभ देने की बात कही।

आतमा व नमसा योजना के अंतर्गत जनपद स्तरीय अधिकारियों की बैठक लेते हुए जिलाधिकारी मनुज गोयल जनपद में कृषि व इससे संबद्ध कार्य कर रहे किसानों को लेकर बेहद संवेदनशील दिखे। इस दौरान उन्होंने विभाग द्वारा संचालित हो रही योजनाओं के माध्यम से काश्तकारों को लाभान्वित किए जाने के निर्देश अधिकारियों को दिए।

 

 

जिला कार्यालय कक्ष में जनपद स्तरीय अधिकारियों की बैठक लेते हुए जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि यह सुनिश्चित हो कि विभागीय स्तर पर संचालित हो रही योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक किसानों को प्राप्त हो साथ ही कृषि एवं कृषि से संबद्ध गतिविधियां जैसे-पशुपालन, उद्यान, मत्स्त्य, डेयरी आदि के माध्यम से भी उन्हें लाभान्वित किया जाए। उन्होंने किसानों को उन्नत नस्ल के पशु उपलब्ध कराने के साथ ही पशुओं का बीमा, कृषकों की फसल का बीमा, मनरेगा के तहत मुर्गीवाड़ा, गौशालाएं घेरबाड़ आदि बनवाए जाने के निर्देश देते हुए किसानों को कलस्टर के रूप में खेती करने का भी सुझाव दिया।

जिलाधिकारी ने कहा कि किसानों को मिलने वाली आय सुनिश्चित करने और टिकाऊ खेती के राष्ट्रीय मिशन के तहत नेशनल मिशन फॉर सस्टेनिवल एग्रीकल्चर योजना (नमसा ) संचालित है, जिससे जिले के किसान जल्द ही इस योजना से लाभान्वित होकर पशुपालन, मत्स्य, डेयरी सहित खेती के क्षेत्र में आशातीत वृद्धि की ओर अग्रसर होने लगेंगे। इसके तहत आय के एक स्त्रोत से दूसरे स्त्रोत से जुड़ने के लिए जिले में कृषि विभाग को पांच ईकाई का लक्ष्य मिला है।

 

 

इसके तहत जिले में पांच पंचायतों का चयन कर किसानों को इस योजना से जोड़ा जाएगा। मुख्यतया पशुपालन आधारित कृषि पद्धति या समन्वित खेती प्रणाली की ऐसी सभी गतिविधियां, जो लंबे समय से प्रक्षेत्र से आय बढाने में सहायक हों और उस प्रक्षेत्र की जलवायु प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित हों। वह अपने जिले में पशु के रुप में गाय भैंस के साथ-साथ मिश्रित खेती के रुप में चारा उत्पादन ले सकता है।

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