उत्तराखंड की आपदाओं का रहस्या जुड़ा हैं इस शक्तिपीठ से..
उत्तराखंड: चमोली जिले के रैणी गांव में रविवार को ग्लेशियर फटने से ऋषि गंगा हाइड्रो प्रोजेक्ट तहस-नहस हो गया। ग्लेशियर फटने के बाद नदियों में आई बाढ़ के बाद आईटीबीपी एनडीआरएफ की टीमों को राहत और बचाय कार्य में लगाया गया। आईटीबीपी के जवान संकरी सुरंगों में फंसे लोगों को बाहर निकालने में जुटे हुए थे। ऋषिगंगा में करीब रविवार सुबह 10.45 बजे अचानक बाढ़ आयी । एक ग्लेशियर के गिरने और तेजी से पानी की धारा चलने से ऋषि गंगा हाइड्रो प्रोजेक्ट पूरी तरह से तहस-नहस हो गया।
बाढ़ में गांव के पांच से छह घर भी बह गए और तपोवन के पास धौली गंगा नदी पर एनटीपीसी की एक परियोजना पूरी तरह तहस-नहस हो गयी। साथ ही नदी की दूसरी ओर के गांवों को जोड़ने वाले दो झूला पुल भी बह गए। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), सेना और एनडीआरएफ की टीमों के करीब 250 जवान घटना स्थल पर बचाव और तलाशी अभियान चला रहे थे।
इसके साथ ही इस आपदा को धारी देवी मंदिर से भी जोड़ा जा सकता हैं। कहा जा रहा हैं कि माँ धारी देवी के कोप से चमोली में भी आपदा आयी हैं। श्रीनगर गढ़वाल में स्थित मां धारी देवी के मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। श्रीनगर प्राचीन गढ़ नरेशों की राजधानी है, यहीं स्थित है मां धारी का मंदिर, जिसके बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं। यही नहीं क्षेत्र के लोग तो ये भी कहते हैं कि साल 2013 में केदारनाथ में आई जलप्रलय भी मां धारी देवी के कोप की वजह से ही आई थी।
धारी देवी को मां काली का रूप माना जाता है। साल 2013 में 16 जून की शाम मां धारी की प्रतिमा को प्राचीन मंदिर से हटा दिया गया था। प्रतिमा हटाने के कुछ घंटे बाद ही केदारनाथ में तबाही आ गई थी। जिसमें हजारों लोगों की जान गई। श्रद्धालुओं का मानना है कि मां धारी की प्रतिमा के विस्थापन की वजह से केदारनाथ में आपदा आयी थी। और आज चमोली में आयी आपदा को भी धारी देवी के मंदिर से ही जोड़ा जा रहा हैं। कहा जा रहा हैं कि मंदिर से धारी देवी की डोली उठाई गयी हैं। जिसके कारण चमोली में ये भयानक आपदा आयी।