उत्तराखंड

शहीद बृजेश की अंत्येष्टि में हर आंख हुई नम, जिगर के टुकड़े को देख माँ हुई बेहोश..

शहीद बृजेश की अंत्येष्टि में हर आंख हुई नम, जिगर के टुकड़े को देख माँ हुई बेहोश..

शहीद बृजेश की अंत्येष्टि में हर आंख हुई नम, जिगर के टुकड़े को देख माँ हुई बेहोश..

उत्तराखंड : जवान बेटे की पार्थिव देह घर के आंगन में पहुंची तो हर आंख नम थी और हर शख्स शहीद की एक झलक पाने को बेकरार था। बेटे बृजेश की मौत की खबर से सुधबुध खो बैठी मां सच मानने के लिए तैयार नहीं थी। पर नियति तो अपना खेल खेल चुकी थी।

जिगर के टुकड़े की पार्थिव देह देखकर मां पुष्पा देवी, बहन कल्पना का रो रोकर बुरा हाल था। वह बेटे से लिपटती और फिर बेहोश हो जाती। यह मंजर देखकर वहां मौजूद सैकड़ों महिलाओं, पुरुषों की आंखें भी नम हो गईं। हर कोई इस हृदयविदारक घटना से दुखी था। पिता दलवीर और बड़ा भाई अमित भी गमगीन थे। छोटे भाई की देह देख अमित की आंखें भी नम हो गईं। सैन्य अधिकारियों ने उन्हें भी ढांढस बंधाया।

उत्तराखंड में रानीखेत के बेटे ने देश की सेवा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया। पर मां तो मां है, आखिर वह कैसे मान ले कि जिस बेटे को उसने नौ माह पेट में पाला, फिर अपनी गोद में खिलाया और पाल पोसकर बड़ा किया अब वह नहीं रहा। मां बस रो रोकर यही करती रही, छुट्टी पर जब भी घर आता था तो गोद में उठा लेता था। लेकिन आज वही लाल घर के आंगन में बेजान पड़ा था। मां-पिता सहित अन्य परिजनों का करुण रुदन से हर शख्स भावुक था।

पूर्वी सिक्किम में सेना का वाहन खाई में गिरने से शहीद हुए 7 कुमाऊं रेजीमेंट के जवान बृजेश रौतेला (22) का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह दिल्ली से सेना की एंबुलेंस से गनियाद्योली पहुंचा। यहां से कुमाऊं रेजीमेंट केंद्र के अधिकारी उनकी पार्थिव देह को लेकर ताड़ीखेत स्थित उनके आवास पहुंचे। सुबह से ही सैकड़ों लोग बृजेश के अंतिम दर्शन के लिए पहुंच गए थे। पार्थिव देह के पहुंचते ही परिजनों और वहां मौजूद लोगों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।

मां पुष्पा देवी, पिता दलवीर, भाई अमित और बहन कल्पना के आंसू थाम थम नहीं रहे थे। इसके बाद पार्थिव देह को पैतृक गांव सरना ले जाया गया, जहां खेराड़ेश्वर महादेव मंदिर स्थित श्मशान घाट पर सैकड़ों ग्रामीणों ने उन्हें पुष्प चक्र अर्पित किए। सूबेदार नरेंद्र सिंह, सूबेदार आनंद सिंह, नायम सूबेदार आनंद सिंह के नेतृत्व में सैन्य जवानों ने उन्हें अंतिम सलामी दी।

शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचने पर भारत माता की जय, जब तक सूरज चांद रहेगा- बृजेश तेरा नाम रहेगा आदि नारों से ताड़ीखेत गूंज उठा। लोगों का कहना है कि यूं तो जो इंसान पैदा हुआ है उसका मरना तय है लेकिन देश सेवा के दौरान मिली शहादत इंसान को अमर कर जाती है। बता दें कि बृजेश 2019 में केआरसी में भर्ती हुआ थे। ट्रेनिंग के बाद वह जम्मू के कुपवाड़ा और असम के हासिमआरा में उनकी पोस्टिंग हुई।

तीन महीने के लिए वह सिक्किम स्थित नाथुलापोस्ट पर तैनात थे। चौकी पर गोला-बारूद पहुंचाकर लौटते वक्त वाहन दुर्घटना में वह शहीद हो गए। उनके पिता दलवीर सिंह भी भारतीय सेना में रह चुके हैं। उन्हें सेना मेडल से भी सम्मानित किया गया है।

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