उत्तराखंड

पूर्वी-पश्चिमी बांगर को सड़क से जोड़ने के लिए अनशन पर बैठेंगे मोहित डिमरी..

मुख्यमंत्रियों की घोषणाओं के बावजूद आज तक काम नहीं हुआ शुरू…

पूर्वी बांगर के ग्रामीणों को जखोली मुख्यालय पहुँचने में होती है परेशानी…

चारधाम यात्रा और पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण है मार्ग…

सरकार ने सड़क नहीं बनाई तो ग्रामीण अपने संसाधनों से बनाएंगे मार्ग…

एक पेड़ कटने पर सौ पेड़ लगायेंगे…

रुद्रप्रयाग। पश्चिम बांगर और पूर्वी बांगर को आपस में सड़क मार्ग से जोड़ने की मांग को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल के युवा नेता मोहित डिमरी 13-14 दिसंबर को मयाली-रणधार-बधानी मोटरमार्ग के अंतिम छोर पर अनशन पर रहेंगे।

उत्तराखंड क्रांति दल के युवा नेता मोहित डिमरी ने कहा कि मयाली-रणधार-बधाणी मोटरमार्ग से छेनागाढ़-खोड़ मोटरमार्ग से जोड़ने की मांग पिछले दो दशक से अधिक समय से की जा रही है। शायद ही कोई मुख्यमंत्री हो, जिसने इस सड़क को बनाने का वादा जनता से न किया हो। राजनीतिक इच्छाशक्ति न होने से आज तक इस मार्ग का निर्माण नहीं हो पाया है। लोक निर्माण विभाग का रट-रटाया जवाब होता है कि वन भूमि की स्वीकृति नहीं मिल रही है। जबकि यह मोटरमार्ग चारधाम यात्रा और पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

मोहित डिमरी ने कहा कि इस सड़क के बनने से गंगोत्री-यमुनोत्री की यात्रा के बाद केदारनाथ जाने वाले तीर्थयात्री मयाली-बधानी मोटरमार्ग से होकर छेनागाढ़ होते हुए सीधे गुप्तकाशी पहुँच सकते हैं। इससे यहां पर्यटन की संभावनायें बढ़ सकती हैं और स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकता है। साथ ही पूर्वी बांगर के ग्रामीणों को जखोली ब्लॉक पहुँचने में भी आसानी होगी। अभी यहां के लोगों को ब्लॉक मुख्यालय पहुँचने में पूरा एक दिन लग जाता है। उन्हें आने-जाने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि चाहे पूर्वी बांगर हो या पश्चिमी बांगर, इस क्षेत्र की हमेशा उपेक्षा हुई है। यहां सड़कों की स्थिति बेहद दयनीय है। अब हमने निर्णय लिया है कि इस क्षेत्र के विकास के लिए आम जनता के सहयोग से व्यापक आंदोलन छेड़ा जाएगा।

युवा नेता मोहित डिमरी ने कहा कि हमारी मुख्य मांग पश्चिमी और पूर्वी बांगर को सड़क मार्ग से जोड़ने की है। सड़क के नाम पर हर बार यही जवाब मिलता है कि वन भूमि की स्वीकृति नहीं मिल रही है। जबकि ऑल वेदर रोड (चारधाम परियोजना) के नाम पर हजारों-लाखों पेड़ काटे गए। यहां पर वन भूमि का मामला आड़े नहीं आया। वहीं हमारे गांवों के विकास में वन भूमि को आड़े लाया जा रहा है। जबकि जनता एक पेड़ कटने पर सौ पेड़ लगाने के लिए तैयार है।

सड़क निर्माण के लिए हमने पहले चरण में दो दिवसीय अनशन का निर्णय लिया गया है। इसके बाद भी सड़क का निर्माण शुरू न हुआ तो हम सभी गांवों के लोग कुदाल-फावड़ा लेकर खुद ही इस सड़क को बनाएंगे।

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