उत्तराखंड

आखिर क्यों प्रशासन नहीं बनवा सके चमोली की ये सड़क..

आखिर क्यों प्रशासन नहीं बनवा सके चमोली की ये सड़क..

उत्तराखंड: मुख्यमंत्री की घोषणा अब तक इस सड़क के लिए बेअसर क्यों सूबे के पूर्व सीएम हरीश रावत ने साल 2015 में एक सड़क के चौड़ीकरण और डामरीकरण की घोषणा की थी, लेकिन सड़क चौडीकरण की दिशा में उस वक़्त कुछ नहीं हुआ। समय बदला और 2017 में प्रदेश में लौटने वाली बीजेपी सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इसी सडक को गोपेश्वर पुलिस मैदान से डेढ़ लेन चौड़ीकरण करने की घोषणा कर दी थी। लेकिन दुर्भाग्य है कि आज तक इस सड़क पर काम शुरू नहीं हो पाया हैं। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अल्मोड़ा के एक कार्यक्रम के दौरान प्रदेश के सभी ब्लॉक मुख्यालयों को जोड़ने वाली सड़कों को डेढ़ लेन और डबल लेन से जोड़ने की घोषणा तो कर दी लेकिन सीएम की 2017 में की गई पुरानी घोषणा अभी तक भी धरातल पर नहीं उतर पाई है। अब ये नई नई घोषणायें 2022 के चुनावों के बाद साकार होंगी या महज घोषणा ही रह जाएगी ये सवाल बड़ा हैं।

 

क्या है विकासखंड घाट के ग्रामीणों की मांग..

उत्तराखंड के चमोली जनपद स्थित विकासखण्ड घाट में भी बीते 72 दिनों से सड़क चौडीकरण की मांग को लेकर एक जन आंदोलन जारी है। 37 दिनों से घाट क्षेत्र के लोग इसलिये भूख हड़ताल पर बैठे है कि वह साल 1962 में बनाई गई 6 मीटर चौड़ी नंदप्रयाग घाट सड़क को डेढ़ लेन यानी 9 मीटर प्रभावित करती है। इतना ही नहीं ये घाट ब्लॉक मुख्यालय को बाहरी दुनिया से जोड़ने वाली एकमात्र सड़क हैं। साल 2018 में उत्तराखंड सरकार के एक ऐसे नियम का हवाला देते हुए जिसमें कि, जिस सड़क पर 3000 गाड़ियों का प्रतिदिन आवागमन न होता हो, वह डेढ़ लेन नहीं बनाई जा सकती। इस नियम के बाद डेढ़ लेन चौड़ीकरण की दिशा में किया जा रहा कार्य विभाग के द्वारा अधूरा ही छोड़ दिया गया, अब सीएम त्रिवेंद्र बैकफुट पर आकर महज सड़क पर डामरीकरण करने की बात कहते हैं जिसका क्षेत्र की जनता विरोध कर अपनी मांग पर अड़ी हैं।

 

पर्यटन और आर्थिक मज़बूती के लिए अहम है ये सड़क..

बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ी हुई 19 किलोमीटर लंबी नंदप्रयाग घाट को जोड़ने वाली यह सड़क धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है. विकासखण्ड घाट के नंदाधाम कुरुड़ के नंदादेवी मंदिर से ही प्रत्येक 12 वर्षों में आयोजित होने वाली, एशिया के महाकुंभ के नाम से विश्वभर के विख्यात नंदाराजजात की अगुवाई करने वाली मां नंदादेवी की डोली भी कैलाश के लिए निकलती है। साथ ही सुपताल झलताल, बैराशकुण्ड, और लार्ड कर्जन सड़क भी इसी क्षेत्र में स्थित है जहां, कि प्रतिवर्ष देशी विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं। अब ऐसी स्थिति में आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ये सरकारें पहाड़ में विकास की गाडी को किस रफ़्तार और तरीके से चढ़ा रही होंगी।

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