अंतर्राष्ट्रीय वॉटर स्पोर्ट्स डेस्टिनेशन के रूप में विकसित होगी टिहरी झील..
उत्तराखंड : उत्तराखंड देवभूमि ही नहीं बल्कि प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर नदियों और पर्वतों की भूमि भी है विश्व के बड़े बांधों में शामिल टिहरी बाँध के निर्माण के फलस्वरूप टिहरी शहर पानी में डूब गया। टिहरी शहर को विस्थापित करके नई टिहरी शहर में बसाया गया है।
टिहरी बांध निर्माण योजना में राज्य सरकार (उत्तराखंड) ने टिहरी झील को एक साहसिक पर्यटन में परिवर्तित करने का निर्णय लिया है। टिहरी झील में जेट स्कीइंग से हॉट एयर बैलून सवारी तक कई अलग-अलग और विविध गतिविधियां शामिल हैं।
साहसिक खेल के नाम पर राज्य के लोगों के पास सीमित विकल्प थे और लोग साहसिक गतिविधियों एवं रोमांच के लिए पर्यटन स्थलों की खोज में रहते थे किन्तु बदलते समय एवं भारत में साहसिक खेलों के उदय के साथ, उत्तराखंड सरकार ने प्रसिद्ध टिहरी झील को एक प्रमुख साहसिक पर्यटन स्थल में बदलने की योजना बनायी है।
टिहरी झील को अंतर्राष्ट्रीय वॉटर स्पोर्ट्स डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए कंसल्टेंट तय कर दिए गए हैं। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि सरकार वॉटर स्पोर्ट्स टूरिज्म को लेकर बहुत गंभीर है। इस दिशा में कई गंभीर प्रयास चल रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 42 किमी क्षेत्रफल में फैली टिहरी झील में एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने की बड़ी संभावना है। टिहरी झील को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने का प्रयास लगातार चल रहा है।
टिहरी में वाटर स्पोर्ट्स डेस्टिनेशन थीम विकसित किए जाने हेतु कंसल्टेंट नियुक्त कर दिए गए हैं। टिहरी झील के अलावा सरकार वॉटर स्पोर्ट्स क्षेत्र में सौंग, जमरानी समेत अन्य योजनाओं पर भी काम कर रही है।
कुछ नई झीलों को भी विकसित किया जा रहा है। एडवेंचर टूरिज्म के साथ ही धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने को महाभारत सर्किट, रामायण सर्किट और दैवीय सर्किट को विकसित किया जा रहा है।
प्रवासियों के लिए वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना के अंतर्गत निजी व्यवसाय करने वालों को आसान ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। देहरादून से मसूरी के बीच 300 करोड़ लागत से पीपीपी मोड में रोपवे विकसित हो रहा है।
मसूरी स्थित जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का जीर्णोद्धार कर उसे हेरिटेज पर्यटन डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है। राज्य के सभी जनपदों में थीम बेस्ड नए पर्यटन स्थल विकसित हो रहे हैं।
पलायन रोकने को पंडित दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास (होम स्टे) विकास योजना शुरू की गई है। 2353 होम स्टे पंजीकृत हो चुके हैं। चार धामों बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की व्यवस्था को दुरुस्त करने को उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का गठन किया गया है। राज्य के उत्पादों को इम्युनिटी फूड के रूप में एक नई पहचान दिलाई जा रही है।