गांव तक सड़क नहीं होने पर प्रसव पीड़िता को ग्रामीण डोली पर ले जा रहे थे अस्पताल
जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ, सामाजिक कार्यकर्ता ने सड़क सुविधा को लेकर सरकार को घेरा
उत्तराखंड : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के मुनस्यारी तहसील के मालूपाती गांव तक सड़क नहीं होने पर गर्भवती महिला को माइनस तीन डिग्री तापमान में खेत में ही शिशु को जन्म देने को मजबूर होना पड़ा। राहत भरी बात यह है कि जच्चा और बच्चा दोनों ही सुरक्षित हैं। प्रसव से पहले परिजन गर्भवती महिला को डोली में लेकर अस्पताल जा रहे थे। मुनस्यारी विकासखंड के मालूपाती गांव तक सड़क नहीं है।
गिरीश गोस्वामी की पत्नी संगीता देवी को शुक्रवार शाम प्रसव पीड़ा हुई। पैदल चलने लायक स्थिति नहीं होने पर संगीता को मुनस्यारी अस्पताल पहुंचाने के लिए गांव के लोग डोली में बिठाकर चार किलोमीटर दूर चौना के लिए रवाना हुए।
पहले भी हो चुके ऐसे मामले….
चौना गांव की सड़क तक पहुंचने से पहले ही संगीता को तीव्र पीड़ा होने लगी। इसके बाद दर्द से तड़पती प्रसव पीड़िता को फन्या नामक स्थान पर डोली से उतारकर खेत में लिटाया गया। संगीता ने माइनस तीन डिग्री तापमान में खेत में ही शिशु को जन्म दिया।
प्रसव के बाद परिजन उसी डोली से संगीता और नवजात शिशु को लेकर घर चले गए। सामाजिक कार्यकर्ता हीरा सिंह चिराल का कहना है कि एक ओर सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दे रही है दूसरी ओर गर्भवती महिलाओं को खेतों में प्रसव कराना पड़ रहा है।
यातायात सुविधा से वंचित गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ना चाहिए। ग्राम प्रधान हेमा देवी मेहरा ने बताया कि अब तक क्षेत्र में इस तरह के कई मामले हो चुके हैं। प्रसव पीड़िताओं को डोली में बिठाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है।