केरल में आई बाढ़ का ऐसा मंजर देख किसी का भी दिल कांप जाता है। आंसू पोंछने और मदद का हाथ बढ़ाने वालों की भी कमी नहीं।
उत्तराखण्ड : ऐसे में कोई बहादुरी और तत्परता से हाथ बढ़ाकर आपको मौत के मुंह से खींच ले तो वह किसी फरिश्ते से कम नहीं होता। केरल की बाढ़ में फंसे लोगों के लिए 13 गढ़वाल राइफल्स के जवान जिंदगी का पुल बन गए हैं। जवानों ने अब तक करीब एक हजार लोगों की जान बचाने में कामयाबी हासिल की है। केरल में आई बाढ़ ने वहां के लोगों को असहाय जरूर किया है, लेकिन आंसू पोंछने और मदद का हाथ बढ़ाने वालों की भी कमी नहीं। मानवता के इसी जज्बे ने मौत को भी मात देने में कामयाबी हासिल की है। मां के कंधे से चिपटे अनगिनत बच्चे बिलख रहे हैं तो बुजुर्ग महिलाएं और पुरुष मदद की उम्मीद में चेतना शून्य हो गए हैं। अपना घरबार गंवा चुके लोग लगातार मायूसी का शिकार हो रहे हैं। कई परिवार बाढ़ में फंसे होने के बावजूद घर का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। ऐसे में भावुकता की जंजीर में जकड़े कई परिवारों को सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचाने की चुनौती भी कम नहीं है।
हालांकि जवानों की तत्परता और भावपूर्ण सहयोग लोगों में जिंदगी का जज्बा भी पैदा कर रहा है। बहरहाल दोहरे मोर्चे से जूझ रहे जवान लोगों को समझाबुझाकर बाढ़ग्रस्त इलाके से निकाल रहे हैं। त्रिवेंद्रम में तैनात 13 गढ़वाल राइफल्स के जवानों ने अब तक एक हजार से ज्यादा बाढ़ग्रस्त लोगों को मौत के मुंह से निकालने में एतिहासिक कामयाबी हासिल की है। बाढ़ग्रस्त लोगों को बचाने की मुहिम कमान अफसर यशदीप सिन्हा और ले. कर्नल अरविंद कुमार के नेतृत्व में अभी जारी है। जवानों ने न सिर्फ लोगों को बाढ़ से बचाया है बल्कि बच्चों और बुजुर्गों को चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराने में भी मदद कर रहे हैं। इस मुहिम में नायब सूबेदार भरत सिंह, मनबर सिंह, सूबेदार रणजीत सिंह, राइफल मैन कुलदीप, गोविंद सिंह की भूमिका सराहनीय है।