उत्तराखंड

केदार में ‘कैलाश’ एक रहस्य . योगेश भट्ट

योगेश भट्ट 
पदमासन में ध्यान लगाए मौन है…यह पंक्ति सूफी गायक कैलाश खेर के उस गीत की है, जो उन्होंने आपदा के बाद शिव महिमा में केदारधाम की ब्रांडिंग के लिए तैयार किया। आज यही ध्यान मौन कैलाश खेर पर उत्तराखण्ड सरकार लगाये हुए है । हरीश शासन में विपक्ष को खटक रहे कैलाश पर मौजूदा त्रिवेंद्र सरकार भी मेहरबान हो गयी है। कैलाश खेर ने उत्तराखण्ड सरकार से करोडों रूपये लेकर क्या तैयार किया उसकी क्या उपयोगिता रही, यह बताने पूछने वाला आज भी कोई नहीं ।

दूसरी ओर केदारनाथ धाम की ब्रांडिंग के लिए तैयार हुए ‘जय केदार’ के अवशेष भुगतान पर से सरकार ने रोक हटाते हुए तकरीबन डेढ़ करोड़ के भुगतान को मंजूरी दे दी है। दिलचस्प यह है कि यह वही भुगतान है जिसमें बड़ी रकम पहले आपदा के मद से दी गयी, और चुनाव से पहले भाजपा ने ज़िसका जबरदस्त विरोध किया। विरोध के चलते ही हरीश रावत सरकार को बाकी भुगतान पर रोक लगानी पड़ी। चुनाव के बाद यह भुगतान सामान्य प्रक्रिया के तहत हो रहा था, लेकिन भाजपा संगठन की आपत्ति पर त्रिवेंद्र सरकार ने एक बार फिर इस पर रोक लगा दी थी। खबर है कि कैलाश खेर को खासी मशक्कत करनी पड़ी, सचिवालय के काफी चक्कर भी काटने पड़े और अंततः भुगतान हो गया।

फर्क सिर्फ इतना रहा कि इस बार भुगतान आपदा के बजाय सूचना मद से हुआ।आश्चर्य यह है कि कैलाश से उस धारावाहिक के बारे में कोई सवाल नहीं हुआ, ज़िसके लिए भुगतान हुआ।कैलाश प्रकरण ने एक बार फिर साबित किया है कि सत्ता का चरित्र एक ही है, वो चाहे किसी के भी हाथ में हो। पिछली सरकार कैलाश खेर पर पूरी मेहरबान रही । इसी मेहरबानी के चलते सरकार ने केदारनाथ की ब्रांडिंग का जिम्मा कैलाश खेर की कंपनी कैलाशा इंटरनेशनल को सौंपा। कैलाश खेर को तकरीबन 12 करोड़ में एक संगीतमय धारावाहिक बनाना था। सरकार और कैलाश खेर भले ही भूल गये हों लेकिन पब्लिक सब जानती है।

बकौल कैलाश खेर इसका प्रसारण टीवी चैनलों के माध्यम से होना था। लेकिन धारावाहिक के नाम पर अभी तक सिर्फ कैलाश खेर का एक गीत ‘जय-जय केदारा’ ही सामने आया है। यह गीत पिछली सरकार में रिलीज भी हो चुका था। इसमें कोई दोराय नहीं कि जय-जय केदार एक बेहतरीन गीत है जिसमें अभिताभ बच्चन, सोनू निगम, शंकर महादेवन, श्रिया घोसाल, शान, हेमामालिनी, अनूप जलोटा व प्रसून जोशी जैसे नामचीन कलाकारों के साथ ही कैलाश खेर खुद शामिल है। लेकिन सवाल यह है कि वह धारावाहिक कहां है जिसके लिए एग्रीमेंट हुआ। किस चैनल पर हुआ उसका प्रसारण, क्योंकि बकौल कैलाश खेर उन्होंने 12 एपीसोड का धारावाहिक तैयार किया। जय-जय केदारा उसी का टाइटल गीत है और धारावाहिक के प्रमोशन में इसका इस्तेमाल होना था। धारावाहिक तैयार हुए भी डेढ़ साल पूरा होने जा रहा है।

कैलाश खेर ने तब यह दावा किया था कि शिव के बारे में पहली बार पूरे शोध के साथ वास्तविक लोकेशनों पर शूटिंग की गयी है। बहरहाल कैलाश, उनका सीरियल और उन्हें हुआ भुगतान एक पहेली बना हुआ है। “पदमासन में ध्यान लगाए मौन है” है गाकर कैलास खेर करोड़ो रुपए ले चुके हैं, लेकिन उस सीरियल का कहीं अता पता नहीं जिसके लिए भुगतान हुआ। कैलाश खेर को भुगतान पर कांग्रेस और भाजपा सियासत तो कर रही हैं, लेकिन यह सवाल कोई नहीं उठा रहा कि कैलाश खेर को इतनी बड़ी रकम के आखिर किसलिए दी गयी । अगर यह किसी धारावाहिक के लिए है तो कहां है वह धारावाहिक किसके पास हैं उसके तमाम ‘राइटस ’? यह भी अपने आप में पहेली है कि आखिर कैलाश को भुगतान कितना होना था और कितना हुआ?

 

जानकारी के मुताबिक 12 एसिसोड के धारावाहिक का तकरीबन 12 करोड़ ही भुगतान तय था, आरटीआई से जो जानकारी सामने आयी वह तीन करोड़ 66 लाख की है, जिसका भुगतान रुद्रप्रयाग आपदा प्रबंधन विभाग से होना था। इसी भुगतान पर विवाद भी हुआ, वह भी तब जब यह प्रकाश में आया कि कैलाश को भुगतान आपदा फंड से हो रहा है। इसके अलावा बाकी भुगतान कहां-कहां से हुआ, हुआ भी या नहीं इसकी कोई जानकारी नहीं। सवाल फिर वहीं उठ खड़ा होता है कि अगर कैलाश को 12 करोड़ का भुगतान हुआ है तो वो धारावाहिक कहां है और यदि नहीं हुआ तो फिर क्या यह मान लिया जाए कि कैलाश का ‘जय केदारा’ उत्तराखंड को साढ़े तीन करोड़ का पड़ा ? कुल मिलाकर इस प्रदेश में केदार पर कैलाश खुद और उनका धारावाहिक एक रहस्य बना हुआ है । भुगतान के साथ यह रहस्य हमेशा के लिए दफन हो जाएगा या इस पर से पर्दा उठेगा यह देखना होगा ।

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