उत्तराखंड

बाबा का बेटा हूँ, उन्होंने ही बुलाया है : मोदी

केदार बाबा के दर पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
कहा, देवभूमि उत्तराखण्ड वीरो की भूमि
श्रद्धालुओं को गढ़वाली लोकसभा में किया संबोधित
केदारपुरी में रखी विकास की आधारशिला
केदारनाथ। जय-जय केदार, भोले बाबा के उद्घोषों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केदारनाथ में अपना सम्बोधन शुरू किया। इसके बाद उन्होंने लोक भाषा गढ़वाली में कहा कि देवभूमि उत्तराखंड का सभी भै-बैणो तै मेरु सादर नमस्कार। बाबा केदार कु आशीर्वाद सभी पर बणूयूँ रेलू, इनि कामना ची मेरी।

शुक्रवार को देश के प्रधानमंत्री बाबा भोले के दरबार केदारनाथ पहुंचे, जहां उन्होंने पहली बार जनसमुदाय को संबोधित किया। इससे पहले पीएम मोदी तीन मई को बाबा के कपाट खुलने के अवसर पर केदारपुरी पहुंचे थे। उस दौरान उन्होंने जनता का अभिवादन किया, लेकिन संबोधन नहीं किया। मगर इस बार उन्होंने क़रीब 30 मिनट तक जनता को संबोधित किया। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को दीपावली की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि गुजरात जैसे कई राज्यों में दिवाली से नववर्ष प्रारम्भ होता है। अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने कहा की गरुड़चट्टी में उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष व्यतीत करने का मौका मिला। केदारबाबा की इच्छा यही थी की बाबा के चरणो में कुछ व्यतीत किया जय। बाबा ने केदार धाम से वापिस सवा सौ करोड़ देशवासियों की सेवा के लिय भेजा है।

कहा कि धाम से संकल्प लेकर भारत को विकास की नयी ऊँचाईयों पर पहुंचाया जाएगा। उन्होंने देवभूमि में 2013 की आपदा से जो शिकार हुए थे, उनकी आत्माओं को श्रद्धांजली दी। कहा कि केदारनाथ में पर्यावरण के अनुकूल पुनर्निर्माण विकास कार्य किए जाएंगे। आवासीय पुरोहितों के लिए थ्री इन वन मकान निर्मित किए जाएंगे। सबसे निचले स्तर पर यात्री के लिए बीच में पुरोहित स्वयं तथा सबसे ऊपर पुरोहितों के यजमान, मेहमान के लिए व्यवस्था रहेगी। इन आवास में 24 घंटे बिजली, पानी व स्वच्छता का प्रबन्ध रहेगा। केदारनाथ के मुख्य मार्ग का चौड़ीकरण किया जाएगा। मुख्य मार्ग में आर सीसी, विद्युतीकरण व आधुनिक व्यवस्था से लेस किया जाएगा।

मंदाकिनी नदी में बाढ़ सुरक्षा का पुनर्निर्माण कार्य इस प्रकार से किया जाएगा की बैठने की व्यवस्था हो तथा यात्री कल-कल की ध्वनि का अनुभव कर सके। आदि गुरु शंकराचार्य का भव्य दिव्य समाधि स्थल निर्मित किया जाएगा जो केदार धाम से अलग अनुभव न करे, लेकिन यात्री समाधि स्थल में जाते ही आध्यात्मिक चेतना की अनुभूति करें। उन्होंने पुनर्निर्माण कार्य के लिये अन्य राज्य सरकार, उद्योग, व्यापार जगत को हाथ बंटाने के लिए निमंत्रण दिया। कहा कि इस वर्ष साढ़े चार लाख से अधिक लोग केदारपुरी पहुंचे हैं और अगले वर्ष निश्चित है की दस लाख यात्री धाम में आयेंगे। पीएम ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड ने वीरों को जन्म दिया है, इसलिए इसे वीरों की भूमि से भी जाना जाता है। हिमालय के प्रत्येक भूभाग में अलग-अलग चेतना का अनुभव होता है। उत्तराखंड की धरती में दिव्य चेतना की अनुभूति होती है। हिमालय की प्रत्येक चेतना की स्वयं महसूस किया है। उत्तराखंड में वन सम्पदा, जड़ी बूटी, जैविक कृषि, साहसिक पर्यटन की अपार सम्भावनाएँ है। उन्होंने 2022 तक सिक्किम की भांति उत्तराखंड को जैविक राज्य के रूप में तब्दील करने को कहा। कहा कि पहाड़ की जवानी, पहाड़ का पानी पहाड़ के काम नहीं आता है। इस कहावत को बदलना होगा।

पहाड़ के पानी से बिजली उत्पादित की जाय व रोजगार का सृजन किया जाय, जिससे पहाड़ की जवानी का उपयोग पहाड़ में हो सके। जनसभा को संबोधित करने के बाद पीएम मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर लोगों के बीच पहुंचे और बातचीत की। उन्होंने कहा कि हमने चारधाम को जोड़ने वाली 12 हजार करोड़ की परियोजना शुरू कर दी है। हम देशवासियों के सपने को पूरा करने वाला काम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश ने तो शौचालय का नाम ही बदल दिया, अब वे इसे इज्जत घर कहते हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही उत्तराखंड खुले में शौच से मुक्त हो जाएगा। मुझे उत्तराखंड को बधाई देनी है कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय का काम पूरा हो गया है। उत्तराखंड में हजारों परिवारों के यहां बिजली पहुंचानी है। भारत सरकार के इस अभियान को आप उठा लीजिए। केदारपुरी में अपने अंतिम संबोधन में पीएम ने कहा कि आज फिर एक बार यहां से संकल्पबद्ध होकर, नई ऊर्जा को प्राप्त कर पूर्ण पवित्र मन से संकल्प के प्रति हिंदुस्तानियों में चेतना जगाने की भगवान शिव से प्रार्थना करता हूँ। आज से कई जगहों पर नया वर्ष शुरू होता है। आपको नया साल मुबारक।

बीस मिनट तक की भोले की पूजा
केदारनाथ। सैनिकों के साथ दिवाली मनाने के बाद दूसरे ही दिन शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ धाम पहुंचे। पीएम ने यहां मंदिर के गर्भ गृह में पूरे विधि-विधान से रुद्राभिषेक किया। मंत्रोच्चार के बीच मोदी ने जल, घी, शक्कर, शहद, भस्म, फलों के रस, काले तिल, केसर, हल्दी आदि से भगवान का अभिषेक किया। पीएम ने मंदिर में करीब 20 मिनट तक पूजा-अर्चना की। इसके बाद उन्होंने मंदिर की परिक्रमा भी की। गौरतलब है कि मोदी केदारनाथ के कपाट बंद होने से एक दिन पहले यहां पहुंचे हैं। पांच महीने पहले वह तीन मई को केदार के कपाट खुलने पर भी दर्शन के लिए आए थे। बताया जा रहा है कि 1990 तक मोदी हर साल केदारनाथ के दर्शन करने आते थे। भगवान की पूजा के बाद पीएम ने आपदा से प्रभावित केदारपुरी के विकास कार्यों पर एक प्रेजेंटेशन देखा। नई केदारपुरी के बारे में पीएम मोदी ने कुछ निर्देश भी दिए। मोदी की यात्रा को लेकर मंदिर को भी भव्य तरीके से सजाया गया। मंदिर को सजाने में दस क्विंटल गेंदे के फूलों एवं बिजली की लड़ियों का इस्तेमाल हुआ। मान्यता है कि जो व्यक्ति भगवान केदार के एक बार दर्शन कर लेता है वह जन्म और मृत्यु के बंधन से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है।

भोले से की देश कल्याण की कामना
केदारनाथ। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को गोवर्द्धन पर्व पर बाबा के धाम केदारनाथ पहुंचे। सुबह नौ बजकर पचपन मिनट पर एमआई-17 से मोदी केदारनाथ मंदिर के पीछे बने हेलीपैड पर उतरे। जहां से एटीवी वाहन के जरिये पीएम मोदी केदारनाथ मंदिर परिसर में आये। मंदिर परिसर पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बाबा के दर्शन के लिए गये। उन्होंने सबसे पहले मंदिर परिसर से बाबा की ओर हाथ जोड़े और देश कल्याण की कामना बाबा से की। करीब 15 मिनट तक उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना की और रूद्राभिषेक कर मंदिर की परिक्रम की। छः महीने में पीएम मोदी की यह दूसरी केदारनाथ यात्रा है। इस मौके पर राॅवल भीमाशंकर लिंग, पुजारी बागेश लिंग और तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती, प्रवीन तिवारी भी मौजूद रहे।

सात सौ करोड़ की पांच योजनाओं का शिलान्यास
केदारनाथ। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के केदारपुरी पहुंचने पर पूरा हिमालय मोदी के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। उन्होंने बाबा की पूजा-अर्चना के बाद केदारपुरी को विकसित करने के लिए पांच योजनाओं का शिलान्यास किया, जिनमें केदारनाथ धाम में मंदाकिनी नदी पर बाढ़ सुरक्षा एवं घाट निर्माण, सरस्वती नदी पर बाढ़ सुरक्षा एवं घाट निर्माण कार्य, तीर्थ पुरोहितों के आवासीय भवनों का निर्माण, आदि गुरू शंकराचार्य कुटीर एवं संग्रहालय का निर्माण, मंदिर परिसर पहुंचने के मुख्य मार्ग के चौड़ीकरण एवं सौन्दर्यीकरण का कार्य शामिल हैं। इन सभी योजनाओं की लागत करीब सात सौ करोड़ है, जिनकी आधारशिला पीएम मोदी ने रखी। आपदा के दौरान केदारपुरी में भारी तबाही मची थी, जिसके बाद से आज तक ये कार्य नहीं हो पाये हैं। पीएम के दौरे के मद्देनजर डीएम, एसपी समेत जिले के तीन सौ से अधिक अधिकारी व कर्मचारी केदारनाथ में ड्यूटी पर लगाए गए थे। इन अधिकारियों ने भगवान केदारनाथ के मंदिर में ही दीपावली मनाई। पीएम के दौरे को लेकर केदारपुरी को छावनी में तब्दील किया गया था।

आपदा के दौरान मंदिर में न पहुंचने का दर्द
केदारनाथ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन के दौरान केदारनाथ आपदा की यादों को भी ताजा कर दिया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 की आपदा के दौरान वे केदारनाथ आना चाहते थे, लेकिन उन्हें आने नहीं दिया गया। तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने उन्हें यहां आने से रोका। उन्हें इसका बहुत बड़ा दुख है। कहा कि बाबा के आशीर्वाद से हर देशवासी की चेतना जागेगी। केदारनाथ में आई प्राकृतिक आपदा के शिकार हुए लोगों को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूॅं। उन्होंने आपदा के दौरान बीते हुए लम्हों को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि वे उस वक्त खुद को रोक नहीं पाये थे। अच्छा किया या फिर बुरा, यह इतिहास ही तय करेगा। उस वक्त मौजूदा सरकार से प्रार्थना भी की थी कि केदारनाथ के पुनर्निर्माण की अनुमति दे दी जाय, लेकिन उस समय सीएम और अफसर इस बात से असहमत हो गये और टीवी पर खबर आ गई, जिससे दिल्ली में तूफान मच गया। उन्होंने कहा कि यह बाबा केदार ने ही तय किया था कि यहां के पुनरूद्धार का काम उनके बेटे के हाथों ही होगा।

समयसीमा में तीर्थ क्षेत्र कैसा होना चाहिए और तीर्थ पुरोहितों के लिए व्यवस्था कैसी होनी चाहिए, इसको मध्यबिन्दु रखते हुए केदारनाथ के विकास के पुनर्निर्माण का खाका तैयार किया गया है। अब पुरोहितों को जो मकान मिलेंगे वे एक प्रकार से थ्री इन वन होंगे। यहां 24 घंटे बिजली और पानी होगा और पैदल मार्ग को पूरी तरह से चैड़ा कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि केदारनाथ त्रासदी की पीड़ा उन्हें यहां खींच लाई। पीएम मोदी ने आपदा के दौरान बीती यादों को लेकर तत्कालीन कांग्रेसी सरकार पर अपना रूख दिखाया। जिसने बता दिया कि आज भी विजय बहुगुणा की सरकार के समय मोदी को केदारनाथ में उतरकर नहीं जाने दिया जाना, उनके मन में आज भी खलता है।

अस्सी के दशक में बिताया समय
केदारनाथ। केदारनाथ मंदिर में दर्शन को जाते समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बिताये हुए पलों को वयोवृद्ध तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती ने साझा किया। बातों-बातों में पीएम मोदी की मुस्कान छूट गई और उन्होंने पोस्ती को गौर से देखा और फिर मंदिर में चले गये। मंदिर से बाहर आने के बाद श्रद्धालुओं को संबोधित करते समय उन्होंने कहा कि अस्सी के दशक में वे केदारपुरी आये थे। केदारनाथ मंदिर से डेढ़ किमी पीछे गरूड़ चट्टी में उन्होंने साधना की। डेढ़ माह तक यहां समय बिताया और बाबा की साधना में लीन रहे। उन्होंने कहा कि गरुड़चट्टी में जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष व्यतीत करने का उन्हें मौका मिला। उस दौरान केदारबाबा की यही इच्छा थी और उसके बाद बाबा ने मुझे वापस भेज दिया। यहां से जाने के बाद गुजरात का मुख्यमंत्री बना। उन्होंने कहा कि बाबा ने मुझे सवा सौ करोड़ देशवासियों की सेवा के लिए भेजा है और मैं देशवासियों की सेवा में लगा हुआ हूॅं। मेरे लिए जन सेवा ही प्रभु सेवा है।

पहाड़ी शैली से बने शिलापट पीएम को भाये

केदारनाथ। पीएम मोदी के केदारधाम पहुंचने पर विभिन्न योजनाओं के लिए तैयार किये गये शिलान्यास पट को पहाड़ी शैली में तैयार किया गया था। इसके लिए नेहरू पर्वता रोहण संस्थान को शिलान्यास के लिए शिलापट बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। निम के कर्मचारी और मजदूरों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पहाड़ी शैली से निर्मित शिलापट के दीदार कराये। निम की ओर से गढ़वाली पारम्परिक शैली से तैयार किये गये शिलापट की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जमकर सराहना की। इस शिलापट को लकड़ी से तैयार किया गया था और निम ने एक दिन में पांच शिलापट तैयार किये थे, जिसका शिलान्यास पीएम नरेन्द्र मोदी ने किया। शिलापट को देखने के बाद पीएम मोदी ने गढ़वाली शैली की जानकारियां भी ली। इसके बाद उन्होंने अपने संबोधन में गढ़वाल का ज्यादा प्रयोग किया।

फिर मायूस कर गया प्रधानमंत्री मोदी का केदार दौरा
सड़क की मांग रही अधूरी, केडीए को लेकर भी नहीं हुई कोई चर्चा
केदारनाथ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दूसरी बार केदारनाथ दौरा तीर्थ पुरोहित समाज और श्रद्धालुओं को मायूस कर गया। बड़ी उम्मीद से श्रद्धालु हजारों की संख्या में केदारपुरी पहुंचे थे। उन्हें उम्मीद थी कि इस बार पीएम मोदी यहां के वांशिदों को सौगात देकर जायेंगे, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। पीएम एक बार फिर से केदारघाटी की जनता को निराश कर गये। केदारसभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला, कुबेरनाथ पोस्ती, दीनानाथ वाजपेई, राजकुमार तिवारी, लक्ष्मी नारायण जुगराण, वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित उमेश पोस्ती, श्रीनिवास पोस्ती, प्रवीन तिवारी ने कहा कि दूसरी बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केदारपुरी पहुंचे। उनके आगमन से जनता में काफी उत्साह था। उम्मीद जताई जा रही थी कि मोदी गौरीकुंड से केदारनाथ सड़क की मांग को पूरा करेंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इसके अलावा केदारनाथ विकास प्राधिकरण को लेकर भी कोई चर्चा नहीं की।

उन्होंने कहा कि पीएम के दीदार को लेकर दो दिनों से श्रद्धालु केदारपुरी में रूके हुए थे और उनकी सिर्फ एक ही इच्छा थी कि केदारनाथ को सड़क मार्ग से जोड़ा जाय, लेकिन उनका सपना सिर्फ सपना बनकर रह गया। इससे पहले रोप-वे की घोषणा भी की जा चुकी है, मगर आज तक रोप-वे को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई। पीएम आगमन से रोप-वे को लेकर उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन सबकुछ धरा का धरा रह गया। कहा कि मोदी का दौरे से जनता में मायूसी छाई हुई है।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top