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10 मार्च को होगी Karanj की तैनाती, भारत की पहली सबमरीन ‘मेक इन इंडिया’..

Karanj की तैनाती

10 मार्च को होगी Karanj की तैनाती, भारत की पहली सबमरीन ‘मेक इन इंडिया’..

देश-विदेश : इंडियन नेवी (Indian Navy) की तीसरी स्टील्थ कलवरी क्लास सबमरीन करंज (Karanj Submarine) को 10 मार्च से मुंबई में तैनात कर दिया जाएगा. 2017 के बाद से नौसेना में फंक्शनिंग शुरू करने वाली ये सबमरीन 6 कलवरी-क्लास डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन्स में से तीसरी सबमरीन है.

 

 

20 से भी ज्यादा सालों तक नौसेना में अपनी सेवा देने वाले कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन गौरव मेहता ने कहा, ‘हम गर्व से कह सकते हैं कि करंज भारत की पहली स्वदेशी सबमरीन है. ये ‘मेक इन इंडिया’ प्रत्यक्ष प्रमाण है. करंज हमारे लिए एक बच्चे की तरह है, जिसे हमने युद्ध हथियार के रूप में डेवलप होते देखा है’

 

 

सभी 6 कलवरी-क्लास डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन में एक जैसी क्षमताएं हैं. हालांकि सबको अलग-अलग कामों के लिए तैनात किया जा सकता है. जैसे- समुद्र में एक रणनीतिक प्वाइंट की रखवाली करना, खदानें बिछाना, खुफिया जानकारी जुटाना, समुद्री कमांडो को छोड़ना और आदेशों के अनुसार दुश्मन के जहाजों से उलझना इत्यादि.

 

 

करंज 60 मीटर की लंबाई वाली छोटी सबमरीन की तरह दिखाई देती है. इसकी तुलना परमाणु ऊर्जा से चलने वाली सबमरीन अरिहंत से नहीं की जा सकती, हालांकि सबमरीन के इस क्लास के अपने अलग फायदे हैं.

 

 

परमाणु ऊर्जा से चलने वाली ये सबमरीन लंबी और भारी है और इसके अपने अलग फायदे हैं. हालांकि कलवरी क्लास की सबमरीन्स अपने-अपने लेवल पर महत्वपूर्ण हैं. वे छोटी हैं और इनसे युद्धाभ्यास करना भी आसान है. इतना ही नहीं ये तट के करीब भी जा सकती हैं.

 

 

कलवरी क्लास की सबमरीनों का निर्माण पब्लिक सेक्टर शिपबिल्डर MDL (Mazagon Dock Ltd) द्वारा किया जा रहा है. करंज को फ्रांसीसी कंपनी की निगरानी के बिना बनाया गया है. इतना ही नहीं चालक दल को भी भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने ट्रेनिंग दी है. एक अधिकारी ने बताया कि फ्रांसीसी कंपनी ने भी हमसे बहुत कुछ सीखा है क्योंकि भारतीय नौसेना रूस, जर्मनी और ब्रिटेन में पिछले 50 सालों से सबमरीन का इस्तेमाल कर रही है.

 

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