उत्तराखंड

बारिश में कांप रहे थे छोटे बच्चे, मदद के लिए पहुँचे पत्रकार

आप भी संकट की इस घड़ी में जरूरतमंदों की करें सहायता

-कुलदीप राणा आज़ाद

लॉक डाउन के चलते लोग जहां-तहां फंस गए हैं। स्थिति यह हो गई है कि रुद्रप्रयाग जनपद से बड़ी संख्या में मजदूर और अन्य बाहरी लोग पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं। इनके पास न तो पैसा है और न खाने का सामान। ऐसे में गरीब कामगार मजदूर भूखे पेट सडकों के किनारे अपने बच्चों के साथ रात बिताने को मजबूर हैं।

कल रात हमारे पत्रकार मित्र मोहित डिमरी को सूचना मिली कि सात लोग जिसमें तीन बच्चे और दो महिलाएं भी शामिल हैं, रुद्रप्रयाग बाईपास के समीप रैंतोली में फंस गए हैं। पत्रकार मित्र मोहित जी ने मुझसे कहा कि बाहर बहुत तेज बारिश हो रही है और उन लोगों के साथ बच्चे भी हैं। ऐसी परिस्थिति में हमें उनकी मदद के लिए जाना चाहिए। फिर मैं, मोहित जी, गावस्कर जी और संजीव जी उनकी मदद के लिए चल दिये। साढे दस बजे का वक्त था और तेज हवा के साथ मोटी बारिश भी। यकीन मानिये बाहर निकलते ही ठंड से हमारा शरीर सिहर उठा था। जब हम मौके पर पहुँचे तो ये सभी लोग शुभम होटल के बाहर बैठे थे। किसी तरह रात खुलने का इंतजार कर रहे थे।

तीन अबोध बच्चे, दो महिलाएं और उनके साथ दो पुरुष बेबस और लाचार नजर आ रहे थे। हमने इनसे पूछा तो इन्होंने बताया कि वह आज अगस्त्यमुनि से चले थे और उन्हें रुद्रप्रयाग में रात हो गई। मौसम खराब होने के कारण वह रास्ते में ही रुक गए। रहने की कहीं व्यवस्था नहीं थी तो वह होटल के बाहर ही रुक गए।

इसके बाद हमने होटल मालिक त्रिलोक कंडारी जी से वार्ता की और उन्होंने उनको रहने के लिए एक कमरा दे दिया। कंडारी जी ने ही इनके खाने की भी व्यवस्था की। इस बीच सोशल मीडिया में इन लोगों के फंसे होने की सूचना पर मनीष कंडारी जी भी मौके पर पहुँचे। इस बीच शिक्षक आशीष शुक्ला जी का भी मदद के लिए हमें फोन आया। उन्होंने कहा कि इनके लिए खाने का प्रबंध करता हूँ। शुक्ला जी के साथ ही नवल खाली जी, होटल मालिक त्रिलोक कंडारी जी, मनीष कंडारी जी और विजयराज होटल के अजय भंडारी जी का बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहते हैं। साथ ही आप सभी से अभी अनुरोध करना चाहते हैं कि संकट की इस घड़ी के जरूरतमंद की मदद के लिए आगे आएं। यही मानवता है।

भारी परेशानियों और विषमताओं के बीच इन गरीबों के लिए मदद के लिए आगे बढे हाथ निश्चित ही इनके लिए किसी वरदान से कम नहीं था, लेकिन उनकी आखों में आने वाले कल की परेशानियाँ भी साफ झलक रही थी।

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