300 से अधिक प्रजातियों के फूल खिलतें हैं यहां।
संजय चौहान
विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी से तो हर कोई परिचित है। लेकिन इससे इतर एक और फूलों की जन्नत है चिनाप घाटी। जिसके बारे में शायद बहुत ही कम लोगों को जानकारी होगी। सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ ब्लाक में स्थित है कुदरत की ये गुमनाम नेमत। जिसका सौन्दर्य इतना अभिभूत कर देने वाला है कि देखने वाला इसकी सुन्दरता से हर किसी को ईर्ष्या होने लगे।
गौरतलब है ये घाटी चमोली के जोशीमठ ब्लाक के उर्गम घाटी, थैंग घाटी व खीरों घाटी के मध्य हिमालय की हिमाच्छादित चोटियों की तलहटी में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ पर 300 से अधिक प्रजाति के फूल बेपनाह सुन्दरता और खुशबू बिखेरी रहती है। पुराणों में भी इसकी सुन्दरता और खुशबू के बारे में वर्णन है।
जिसमे कहा ग की यहाँ के फूलों की सुंदरता व खुशबू के सामने बद्रीनारायण और गंधमान पर्वत के फूलों की सुन्दरता व खुशबू न के बराबर है। वैसे इस घाटी की सुन्दरता 12 महीने बनी रहती है लेकिन खासतौर पर जुलाई से लेकर सितम्बर के दौरान खिलने वाले असंख्य फूलों से इस घाटी का अभिभूत कर देने वाला सौन्दर्य बरबस ही हर किसी को अपनी ओर खींचने को मजबूर कर देता है। इस घाटी की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यहाँ पर फूलों की सैकड़ों क्यारियां मौजूद है।
जो लगभग 5 वर्ग किमी के दायरे में फैली है। हर क्यारी में 200 से लेकर 300 प्रकार के प्रजाति के फूल खिलतें हैं। जिनको देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि इन कतारनुमा फूलों की क्यारियों को खुद कुदरत ने अपने हाथों से फुरसत में बड़े सलीके से बनाया हो।
फूलों की इस जन्नत में कई दुर्लभ प्रजाति के हिमालयी फूल के अलावा बह्मुल्य वनस्पतियाँ व जड़ी बूटियां पाई जाती है। इसके अलावा राज्य पुष्प ब्रह्मकमल की तो तो यहाँ सैकड़ों क्यारियां पाई जाती है जो इसके सुन्दरता में चार चाँद लगा देती है। साथ ही इस घाटी से चारों ओर हिमालय का नयनाभिराम और रोमांचित कर देना वाला दृश्य दिखाई देता है। लेकिन आज भी फूलों की ये जन्नत देश और दुनिया की नज़रों से ओझल है। राज्य बनने के 17 साल बाद भी सूबे के नीति नियंताओं की नजरें प्रकृति की इस अनमोल नेमत पर नहीं पड़ी। जबकि ये घाटी सूबे के पर्यटन के लिए मील का पत्थर साबित हो सकतीं हैं।
प्रकृति प्रेमी, अधिवक्ता और गांव के युवा दिलबर सिंह फरस्वाण कहते हैं किकचेनाप फूलों की घाटी को पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए ग्रामीण कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर जिले के आलाधिकारी से मांग कर चुकें हैं। लेकिन नतीजा सिफर रहा। यदि चिनाप फूलों की घाटी को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाता है तो आने वाले सालों में उत्तराखंड में सबसे अधिक पर्यटक यहाँ का रुख करेंगे। चिनाप फूलों की घाटी के साथ साथ यहाँ पर फुलारा बुग्याल, गणेश मंदिर, सोना शिखर जैसे दर्शनीय स्थलों का दीदार किया जा सकता है। जबकि हेलंग- उर्गम- चेनाप- खीरों- होते हुए हनुमान चट्टी पैदल ट्रेकिंग किया जा सकता है। साथ ही बद्रीनाथ तक भी ट्रेकिंग किया जा सकता है। ये ट्रैक पर्वतारोहियों के लिए किसी रोमांच से कम नहीं है।
वहीँ जोशीमठ ब्लाक के ब्लाक प्रमुख प्रकाश रावत कहतें है कि चिनाप जैसे गुमनाम स्थलों को देश और दुनिया के सामने लाया जाना अतिआवश्यक है। क्योंकि इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्थानीय लोगो के लिए भी रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उन्होंने चिनाप घाटी को भी द्रोणागिरी की तर्ज पर टैक ऑफ़ द ईयर घोषित करने की मांग की है। ताकि देश और दुनिया की नजरों से ओझल ये घाटी पर्यटन के मानचित्र पर आ सके।
वास्तव मे हमारे उत्तराखंड में चिनाप घाटी जैसे दर्जनों स्थल ऐसे हैं जो पर्यटन के लिहाज से मील का पत्थर साबित हो सकतें हैं लेकिन नीति नियंताओ नें कभी भी इनकी सुध नहीं ली। यदि ऐसे स्थानों को चिन्हित करके इन्हें विकसित किया जाए तो इससे न केवल पर्यटक यहाँ का रूख करेंगे अपितु रोजगार के अवसरों का सृजन भी होगा। सरकार को चाहिए की तत्काल ऐसे स्थानों के लिए वृहद कार्ययोजना बनें।
