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ईरान का रक्षा मंत्री 40 साल बाद क्यों आया भारत आखिर क्या है वजह..

रक्षा मंत्री

ईरान का रक्षा मंत्री 40 साल बाद क्यों आया भारत आखिर क्या है वजह..

चीन और पाकिस्तान को क्यों लगेगी मिर्ची..

देश-विदेश : पिछले दिनों ईरान के रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल आमीर हतामी भारत आए थे. वह ईरान के ऐसे रक्षा मंत्री बने जिसने 40 साल बाद भारत का दौरा किया है. उनकी यह भारत यात्रा कई मायनों में अहम मानी जा रही है. विदेश मामलों के जानकार मान रहे हैं कि उनकी इस भारत यात्रा के बाद भारत और ईरान के बीच आपसी सहयोग बढ़ेगा और यह सिर्फ एक द्विपक्षीय दौरा भर नहीं था.हातामी ने बेंगलुरु में खत्‍म हुए एयरो-इंडिया 2021 में शिरकत भी की. इस दौरान हतामी ने अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह से मुलाकात की. बिग्रेडियर जनरल हतामी का यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब इजरायल और ईरान के बीच तनातनी जारी है.

 

पाकिस्‍तान में ईरान ने की सर्जिकल स्‍ट्राइक..

साल 2020 में उन खबरों से देश में हलचल मच गई जिसमें कहा गया था कि ईरान की सरकार ने नई दिल्‍ली को चाबहार-झाहेदान रेल लाइन प्रोजेक्‍ट से बाहर कर दिया है. रिपोर्ट्स में कहा गया था कि ईरान ने अब इस प्रोजेक्ट में चीन को तरजीह दी है. इन रिपोर्ट्स से हालांकि ईरान और भारत दोनों ने ही किनारा कर दिया ले‍किन यह बात काफी हद तक सच है कि भारत का यह साथी अब धीरे-धीरे चीन के करीब हो रहा है.

 

ईरान के रक्षा मंत्री ने भारतीय मीडिया को दिए इंटरव्‍यू में कहा था कि भारत और ईरान के बीच द्विपक्षीय संबंध काफी एतिहासिक रहे हैं. दोनों देशों के बीच रक्षा मामलों पर भी कुछ समझौतों पर साइन हुए हैं.उन्‍होंने जानकारी दी कि समझौंते के साइन होने के बाद ईरान की सेनाओं ने कई ट्रेनिंग कैंप्‍स में भारत के साथ हिस्‍सा लिया है. उन्‍होंने यह भी कहा कि कई सेक्‍टर्स दोनों देशों के बीच काफी अहम हैं. चाबहार बंदरगाह को भी उन्‍होंने काफी महत्‍वपूर्ण बताया.

 

चाबहार को बताया सबसे अहम..

पाकिस्‍तान के साथ भी ईरान के रिश्‍ते बिगड़ते जा रहे हैं. हाल ही में ईरान ने बलूचिस्‍तान में सर्जिकल स्‍ट्राइक की थी. ईरान का पाकिस्‍तान बॉर्डर भी भारत जितना ही चुनौतीपूर्ण है. जहां ईरान इस बात को बेहतरी से जानता है कि अमेरिकी प्रतिबंधों से लड़ने और पाकिस्‍तान को उसके अंदाज में जवाब देने में भारत उसके लिए कारगर साबित हो सकता है. ईरानी रक्षा मंत्री का भारत आना पाकिस्‍तान समेत दुनिया के तमाम देशों के लिए बड़ा संदेश भी है.

 

इजरायल-ईरान के बिगड़ते रिश्‍ते..

सितंबर 2020 में राजनाथ सिंह ईरान गए थे और यहीं पर उन्‍होंने हतामी को एयरो इंडिया के लिए आमंत्रित किया था. भारत इस समय एशिया का वह देश है जिसे पश्चिम एशिया में रिश्‍तों का संतुलन बरकरार रखना है. खाड़ी देशों और इजरायल से भी रिश्‍ते बेहतर रखने हैं तो वहीं ईरान को भी साथ रखना जरूरी है.

 

पिछले दिनों राजधानी दिल्‍ली में इजरायल के दूतावास के करीब एक आईईडी ब्‍लास्‍ट हुआ था. भारत में इजरायली के राजदूत रॉन माल्‍का ने इसे एक आतंकी हमला बताया और इस बात की आशंका जताई कि इस ब्‍लास्‍ट के पीछे ईरान की साजिश हो सकती है. दूतावास के करीब मिली एक चिट्ठी ने उनके शक को और पुख्‍ता कर दिया. इस चिट्ठी में ‘साराल्‍लाह इंडिया हेजबोल्‍ला’ का जिक्र था. साल 2012 में भी एक हमला हुआ था जिसमें ईरान का ही नाम आया था.

 

भारत के लिए भी चुनौतियां दोगुनी..

इस समय खाड़ी देशों में इजरायल को एक देश की मान्‍यता देने की होड़ लगी हुई है. भारत के लिए चुनौतियां इस समय दोगुनी हैं. हालांकि तमाम चुनौतियों के बाद भी भारत और ईरान के रिश्‍तों में कोई रुकावट नहीं आई और यह आगे बढ़ते रहे हैं. लेकिन ईरान के रक्षा मंत्री यों ही भारत नहीं आए थे. अमेरिका के नए राष्‍ट्रपति जो बाइडेन ने साफ कर दिया है कि साल 2018 में उनके पूर्वाधिकारी डोनाल्‍ड ट्रंप ने जो प्रतिबंध लगाए थे, उन्‍हें फिलहाल नहीं हटाया जाएगा.

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