उत्तराखंड

श्रम विभाग कर रहा साइकिल घोटाले की जांच..

श्रम विभाग कर रहा साइकिल घोटाले की जांच..

उत्तराखंड: योजनाओं में घोटाला न हो ये भला कैसे हो सकता हैं। योजनाओं का फायदा असली ज़रूरतमंद को ही मिले ऐसा भला कहाँ हो सकता है ? अब हाईप्रोफाइल ड्रामे वाले विभाग उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड को ही देख लीजिये जहाँ चर्चित कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत काबिज थे और तथाकथित साइकिल घोटाला हो गया जिसकी जांच श्रम विभाग कर रहा है लेकिन अब इसमें नया पेंच आ गया है क्योंकि नए बोर्ड अध्यक्ष की शंका के चलते जिलाधिकारियों को ख़ास हिदायत दे दी गयी हैं।

 

उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के माध्यम से प्रदेश में साल 2017 से 2020 तक बांटी गई साइकिलों में गड़बड़झाले की श्रम विभाग द्वारा कराई जा रही जांच में अब वो अधिकारी शामिल नहीं होंगे, जिन्होंने साइकिलें बंटवाई थीं। बोर्ड के अध्यक्ष के आग्रह पर शासन ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। कर्मकार कल्याण बोर्ड के पिछले बोर्ड के कार्यकाल में प्रदेश के सभी जिलों में श्रमिकों को साइकिलें वितरित की गई थीं। नए बोर्ड का गठन होने के बाद पिछले वर्ष ये बात सामने आई कि साइकिल वितरण में भारी अनियमितता बरती गई। जिलों में ऐसे व्यक्तियों को भी साइकिलें बांट दी गईं, जो इसके लिए पात्र ही नहीं थे। श्रम विभाग इस प्रकरण की जांच कर रहा है।

 

प्रकरण में नया मोड़ तब आया, जब हाल में ही बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल ने विभाग द्वारा कराई जा रही जांच पर अविश्वास जताया। उन्होंने श्रम सचिव को पत्र भेजकर कहा कि साइकिल वितरण का कार्य श्रम विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ। अब उन्हीं के माध्यम से जांच कराने से इसकी निष्पक्षता पर संदेह है। उन्होंने मांग की थी कि यह जांच किसी अन्य एजेंसी से कराई जाए अथवा जिन अधिकारियों ने साइकिलें बंटवाई उन्हें जांच में शामिल न किया जाए। अब शासन ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। लेकिन लाख टके का सवाल है कि प्रदेश में अब जबकि चुनावी माहौल बनने लगा है , त्रिवेंद्र सरकार के चंद महीने के कार्यकाल में क्या इस घोटाले की रिपोर्ट सामने आ पायेगी या ये भी फाइलों में औपचारिकता अधूरी करते हुए दफन कर दी जाएगी।

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