उत्तराखंड

रुद्रप्रयाग के दो शिक्षकों ने उदयपुर में गढ़वाली संस्कृति की दिखाई झलक

रुद्रप्रयाग। जिले के दो शिक्षकों ने संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के क्षेत्रीय केन्द्र सीसीआरटी उदयपुर में गढवाली संस्कृति की प्रस्तुति दी। सीसीआरटी के रीजनल केन्द्र उदयपुर राजस्थान में चले इस कार्यक्रम में हस्तशिल्प आर्ट एंड क्राफ्ट का भी प्रशिक्षण दिया गया, जिसमे सात राज्यों से आए प्रतिनिधियों द्वारा अपनी अपनी संस्कृति की झलकियां भूगोल, इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।

रूद्रप्रयाग से दो शिक्षक अश्विनी गौड (राउमा विद्यालय पाराकुराली) एवं विजय सिंह रावत (राइंका कोट बाँगर) के अलावा राज्य से चार और शिक्षकों कृष्णानंद राजपूत, मंगलानंद पंत, पूजा भाकुनी एवं पुष्पा गैडा ने भी प्रतिभाग किया। देवभूमि की संस्कृति के प्रचार-प्रसार के साथ चारधाम यात्रा के सफल संचालन एवं सुरक्षित यात्रा का न्यौता भी इन शिक्षकों द्वारा दिया गया। गढवाली टोपी, दोखा, पाखला (लवा) का भी प्रर्दशन किया गया। साथ ही नंदा राजजात यात्रा की झलक के साथ एशिया की इस पगयात्रा में आने का भी न्यौता दिया।
पर्यावरण में उत्तराखंड का योगदान चिपको से लेकर मैती आंदोलन तक को मंच से नाटक के माध्यम से प्रदर्शित किया गया, जिसमें विजय सिंह रावत पेड़ की भूमिका, अश्विनी गौड ठेकेदार, पुष्पा गैडा गौरा देवी, पूजा भाकुनी ग्रामीण
महिला, कृष्णा नंद राजपूत सुंदर लाल बहुगुणा, मंगलानंद पंत चंडीप्रसाद भट्ट की भूमिका में रहे।

बेडू पाको बारामास के साथ पेड़ बचाने की भूमिका में उत्तराखंड की मैती, चिपको जैसे आंदोलनों पर भी प्रकाश डाला। स्थानीय पारंपरिक पोशाको में अश्विनी गौड़ दोखा, पाखला (लवा) के अलावा गढवाली टोपी को अलग पहचान देने वाले कैलाश भट्ट द्वारा निर्मित टोपी का भी प्रर्दशन किया। खासकर दोखे और इस टोपी ने और राज्यों से आए प्रतिभागियो को खूब लुभाया और टोपी की डिमांड भी की। इस दौरान सीसीआरटी अधिकारियों द्वारा उत्तराखंड के इन प्रतिभागी शिक्षकों की भूरी भूरी प्रशंसा की और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

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