एक Love story जिसने राजनीति में मचाई खलबली..
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी जब भी चुनाव प्रचार के लिए गुजरात में लोगों के बीच पहुंचती थीं तो साड़ी के पल्लू से सिर ढांकना नहीं भूलती थीं। वे खुद को हमेशा गुजरात की बहू बताती थी। इंदिरा ‘नेहरू’ से ‘गांधी’ तब बनीं, जब उन्होंने गुजरात के पारसी युवक फिरोज से शादी की।
देश-विदेश: पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी जब भी चुनाव प्रचार के लिए गुजरात में लोगों के बीच पहुंचती थीं तो साड़ी के पल्लू से सिर ढांकना नहीं भूलती थीं। वे खुद को हमेशा गुजरात की बहू बताती थी। इंदिरा ‘नेहरू’ से ‘गांधी’ तब बनीं, जब उन्होंने गुजरात के पारसी युवक फिरोज से शादी की। उस वक्त एक हिंदू और पारसी के संबंध से भारतीय राजनीति में भूचाल न आए, इसके लिए महात्मा गांधी ने इन्हें ‘गांधी’ नाम दे दिया। बाद में यह परिवार राजनीति में इसी नाम से मशहूर हुआ।
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और कमला नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी के बचपन का नाम इंदिरा प्रियदर्शनी था।19 नवंबर 1917 को यूपी के इलाहाबाद में उनका जन्म हुआ था। उनके घर का नाम ‘इंदू’ था और वे अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं। इंदिरा का नाम उनके दादा पंडित मोतीलाल नेहरू ने रखा था। इसका मतलब होता है कांति, लक्ष्मी और शोभा। वहीं 12 सितंबर 1912 को मुंबई के फोर्ट तेमुलजी नरिमान हॉस्पिटल में जन्में फिरोज गांधी मूल गुजराती हैं। फिरोज के पिता का नाम जहांगीर और मां का नाम रतिबाई था। फिरोज के पिता जहांगीर मरीन इंजीनियर की पढ़ाई के बाद मुंबई शिफ्ट हो गए थे।
और इस तरह फिरोज का जन्म मुंबई में हुआ। परिवार में पांच संतानें थीं, जिसमें फिरोज सबसे छोटे थे। पिता की मौत के बाद फिरोज की मां सभी बच्चों के साथ अपनी मां के घर इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) आ गई थी। फिरोज ने कॉलेज की पढ़ाई इलाहाबाद में की और आगे की पढ़ाई के लिए वे लंदन चले गए, लेकिन कुछ समय बाद ही वे भारत लौट आए। साल 1930 में फिरोज ने कांग्रेस के नेता के रूप में युवाओं का नेतृत्व किया। इसी दौरान उनकी मुलाकात नेहरू व कमला नेहरू से हुई। आजादी की लड़ाई में इंदिरा की मां कमला नेहरू एक कॉलेज के सामने धरना देने के दौरान बेहोश हो गई थी।
उस समय फिरोज गांधी ने उनकी बहुत देखभाल की। कमला नेहरू का हालचाल जानने के लिए फिरोज अक्सर उनके घर भी आया-जाया करते थे। इस तरह वे नेहरू परिवार के करीब आते चले गए। इसी दौरान उनकी और इंदिरा गांधी के बीच नजदीकियां बढ़ीं। फिरोज जब इलाहाबाद में रहने लगे, तब भी वे अक्सर आनंद भवन जाया करते थे।
महात्मा गांधी ने दिया सरनेम..
कुछ समय बाद जब फिरोज और इंदिरा के प्रेम-प्रसंग की जानकारी कमला नेहरू को हुई तो वे बहुत गुस्सा हुईं। दोनों के अलग-अलग धर्मो के होने की वजह से भारतीय राजनीति में खलबली मचने का डर जवाहरलाल नेहरू को भी सताने लगा था। इसलिए उन्होंने यह बात महात्मा गांधी से बताई और सलाह मांगी। महात्मा गांधी ने फिरोज को ‘गांधी’ सरनेम की उपाधि दे दी और इस तरह फिरोज खान, फिरोज गांधी बन गए और इंदिरा नेहरू अब ‘इंदिरा गांधी’ बन गईं।फिरोज और इंदिरा की शादी 1942 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुई।