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भारतीय वैज्ञानिकों का दावा विशाल ब्लैक होल से नजर आ रही है रोशनी..

भारतीय वैज्ञानिकों का दावा विशाल ब्लैक होल से नजर आ रही है रोशनी..

देश-विदेश : प्रकृति और ब्रह्मांड के रहस्‍यों को जानने में जुटे वैज्ञानिकों को कुछ मौकों पर हैरान करने वाली जानकारियां हाथ लगती हैं। भारतीय खगोलविदों (Indian astronomers) ने ऐसी एक चौंकाने वाली जानकारी दी है। भारतीय वैज्ञानिकों ने एक विशाल ब्लैक होल से अत्यधिक रोशनी दिखाई देने का दावा किया है। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक इस ब्‍लैक होल का नाम बीएल लैकेर्टे (BL Lacertae) रखा गया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने शनिवार को यह जानकारी दी।

 

इसलिए हो रही हैरानी..

भारतीय वैज्ञानिकों के इस दावे पर आश्‍चर्य इसलिए हो रहा है क्‍योंकि माना जाता है कि ब्‍लैक होल में खगोलीय पिंड गिर तो सकती हैं लेकिन बाहर नहीं आ सकते। इसे ब्‍लैक होल नाम देने के पीछे यह तर्क है कि यह अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है यानी ब्‍लैक होल प्रकाश को भी अपने में समाहित कर लेता है कुछ भी परावर्तित नहीं करता। पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक इस खोज से ब्रह्मांड की उत्पत्ति के राज को सुलझाने में मदद मिलेगी।

 

ब्रह्मांड की उत्पत्ति को समझने में मिलेगी मदद..

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अध्‍ययन काफी महत्‍वपूर्ण है। इसके विश्‍लेषण से ब्लैक होल के द्रव्यमान और उत्सर्जन के स्रोत का पता लगाने में मदद मिलेगी। यही नहीं यह अध्‍ययन ब्रह्मांड की उत्पत्ति के विभिन्न चरणों के रहस्यों को सुलझाने और विभिन्न घटनाओं का पता लगाने में मददगार साबित हो सकता है। देश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि बीएल लैकेर्टे (BL Lacertae) एक करोड़ प्रकाश वर्ष दूर स्थित है।

 

BL Lacertae प्रमुख 50 ब्लैक होल में शामिल..

यह ब्‍लैक होल (BL Lacertae) सर्वाधिक प्रमुख 50 ब्लैक होल में शामिल है। यही नहीं रिपोर्ट के मुताबिक यह उन तीन से चार ब्लैक होल में शुमार है जिसके बारे में खगोलविदों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने आग की लपटों से निकलते प्रकाश का पूर्वानुमान लगाया था। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस कार्य में नैनीताल स्थित संपूर्णानंद टेलिस्कोप (Sampurnanand Telescope, ST) और 1.3 एम देवस्थल फास्ट ऑप्टिकल टेलीस्कोप की मदद ली गई।

 

 

16 जनवरी को लगा पता..

रिपोर्ट के मुताबिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत आने वाले आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज के आलोक चंद्र गुप्ता (Alok Chandra Gupta) के नेतृत्व में खगोलविदों के एक दल अंतरराष्ट्रीय अभियान के एक हिस्से के तौर पर अक्टूबर 2020 से ही इस ब्‍लैक होल का अध्ययन कर रहा था। भारतीय वैज्ञानिकों के इस दल ने 16 जनवरी 2021 को आग की लपटों से निकलने वाले इस प्रकाश का पता लगाया।

 

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