उत्तराखंड

देश का पहला हीलिंग सेंटर बना रानीखेत के जंगल में..

देश का पहला हीलिंग सेंटर बना रानीखेत के जंगल में..

उत्तराखंड: रानीखेत में खोला गया देश का पहला हीलिंग सेंटर, यह सेंटर उत्तराखंड वन अनुसंधान की ओर से कालिका रिसर्च सेंटर के पीछे जंगल में बनाया गया है। यह जापानी तकनीक पर आधारित सेंटर है। तमाम तरह के तनाव से जूझ रहे लोग यह पर प्रकृति के बीच रहकर तनाव से मुक्ति पा सकते हैं।

रविवार को मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी की मौजूदगी में हीलिंग सेंटर का उद्घाटन किया गया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भाग दौड़ की जिंदगी में लोग आज भी किसी न किसी तरह के तनाव में रहते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य तनावग्रस्त लोगों को तनाव से बाहर निकालना है। लोग जंगल के अंदर जाकर ध्यान लगा सकते हैं। इस सेंटर के लिए पांच हैक्टेयर वन क्षेत्र को विकसित किया गया है। यहां दो ट्री हाउस, जंगल वॉक के लिए पगदंडी विकसित की गई है।

 

वह प्रकृति के नजदीक बैठकर तनाव मुक्त हो सकते हैं। इसी तरह के और सेंटर प्रदेश में अन्य जगहों पर भी विकसित किए जाएंगे। वनों का महत्व मानव जीवन में कहीं अधिक है, यह देश का पहला हीलिंग सेंटर है। इसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। इस दौरान लोक चेतना मंच के निदेशक, उत्तराखंड वन अनुसंधान के सलाहकार जोगेंद्र बिष्ट भी मौजूद रहे।

 

जोगेंद्र बिष्ट का कहना हैं, कि रानीखेत जैव विविधता के लिए समृद्ध क्षेत्र है। ऐसे में यह पर इस तरह के प्रयास सराहनीय हैं। इससे लोगों में जंगलों के प्रति लगाव भी बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड का यह पहला प्रयोग है। इसे पूरी तरह से जापानी तकनीक पर विकसित किया गया है। यह सघन वन क्षेत्र 29 प्रकार की चीढ़ की प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध है। इससे पेड़ पौधों का संरक्षण, जड़ी बूटियों का संरक्षण भी होगा।

 

उन्होंने बताया कि हीलिंग की यह प्रक्रिया जापान में काफी प्रसिद्ध हुई है। यह सेंटर न केवल लोगों को सुकून देगा बल्कि यह पर्यटकों और स्थानीय लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित करेगा। रानीखेत के आसपास और क्षेत्र विकसित किए जा सकते हैं, इससे लोग वनों के महत्व को समझेंगे। यहां वन क्षेत्राधिकारी आरपी जोशी, मंच से जुड़े पंकज चौहान, गिरीश पांडे, आनंद सिंह सहित तमाम लोग मौजूद रहे। प्राचीन समय में भारत में इस तकनीक का उपयोग होता था, जापान में यह परंपरा आज भी जीवित है। रानीखेत में मिश्रित वन है, लेकिन इसमें बहुतायत चीड़ की है। इसलिए यहां पेड़ों से लिपट कर लोग स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं।

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