उत्तराखंड

लकवाग्रस्त बीरा को हेल्पेज ने दिया सहारा

लकवाग्रस्त बीरा को हेल्पेज ने दिया सहारा, 35 दिनों के सफल ईलाज के बाद चलने लगी पचास वर्षीय बीरा

रुद्रप्रयाग। हेल्पेज इण्डिया के फिजियोथेरेपिस्ट डाॅ रंगलाल यादव ने पैरापलेजिया रोग से पीड़ित पचास वर्षीय महिला को रिकाॅर्ड 35 दिनों में अपने पैरों पर खड़ा कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। पैरापलेजिया रोग रीढ़ की हड्डी की एक बीमारी है, जिसमें शरीर का निचला हिस्सा लकवाग्रस्त हो जाता है। महिला के परिजनों ने इसके लिए हेल्पेज इण्डिया एवं डाॅ रंगलाल यादव का आभार प्रकट करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया है। डाॅ रंगलाल यादव ने बताया कि अस्पताल में एक माह पूर्व कुरछोला ग्राम की पैरापलेजिया रोग से पीड़ित एक गरीब महिला बीरा देवी (50) अपना ईलाज कराने आई थी। महिला गरीब परिवार से थी। महिला का पति श्रमिक है और वह भी अधिकांशतः बीमार ही रहता है। ऐसे में महिला का सम्पूर्ण ईलाज कराना सम्भव नहीं हो पा रहा था।

पैरापलेजिया रोग रीढ़ की हड्डी में होता है जो अक्सर लम्बे समय तक कमर दर्द रहने के कारण भी होता है। इस बीमारी में महसूस करने की क्षमता कम हो जाती है और मरीज को शौच एवं पेशाब पर नियन्त्रण नहीं रह पाता है। इसके साथ ही शरीर के निचले अंगों को लकवा हो जाता है। ऐसे में किसी ने उन्हें हेल्पेज इण्डिया के निःशुल्क अस्पताल जाने की राय दी।

बीरा देवी का बेटा अनुज उन्हें गोद में उठाकर अस्पताल लाया, जहां उन्होंने फिजियोथेरेपी से उनका ईलाज किया और 35 दिनों में ही उन्हें ठीक कर अपने पैरो पर चलते हुए अस्पताल से डिस्चार्ज किया। हेल्पेज इण्डिया के जिला समन्वयक प्रवीण राॅय एवं सामाजिक सुरक्षा अधिकारी पंकज राठौर ने बताया कि केदारनाथ आपदा के बाद से आपदाग्रस्त क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा में हेल्पेज इण्डिया बेहतर कार्य कर रही है। संस्था न केवल दूर दराज के गांवों में स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर रही है, बल्कि अगस्त्यमुनि सौड़ी के पास एक बीस बेड का अस्पताल भी खोला हैं जिसमें क्षेत्र के गरीब मरीजों का निःशुल्क ईलाज किया जाता है।

उन्होंने बताया कि पहाड़ की विषम भोगोलिक परिस्थितियों के कारण कई लोग विभिन्न कारणों से लकवाग्रस्त हो जाते हैं। जिन्हें लम्बे समय तक फिजियोथेरेपी एवं ईलाज की आवश्यकता पड़ती है। हेल्पेज इण्डिया ने पहाड़वासियो की इन समस्याओं को समझा और अस्पताल में एक व्यवस्थित फिजियोथेरेपी अनुभाग खोला है जहां एक पूर्णकालिक डाॅक्टर मरीजों की निरन्तर फिजियोथेरेपी कर रहा है। अस्पताल में गरीब मरीजों को निःशुल्क रहने की व्यवस्था की गई है।

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