उत्तराखंड

वेतन वृद्धि को लेकर फार्मासिस्टों ने निदेशक को भेजा ज्ञापन…

वेतन वृद्धि को लेकर फार्मासिस्टों ने निदेशक को भेजा ज्ञापन..
स्वास्थ्य मिशन के निदेशक को भेजे ज्ञापन में बताई अपनी पीड़ा.. 
विभिन्न कार्यक्रम में कार्य करने के बाद भी नहीं मिल रहा समान वेतन…

रुद्रप्रयाग। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम मंे कार्यरत फार्मासिस्टों ने समान पद समान वेतन की मांग को लेकर निदेशक को ज्ञापन भेजा है। फार्मासिस्ट संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि जनपद में विभिन्न कार्यक्रमों में निरंतर सेवाएं ली जा रही हैं और सभी अपना कर्तव्य निष्ठा से पूरा कर रहे हैं, बावजूद इसके स्वास्थ्य मिशन में लगे फार्मासिस्टों के वेतन में वृद्धि नहीं की जा रही है।

ज्ञापन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन फार्मासिस्ट संघ के जिलाध्यक्ष विवेक खन्ना, प्रदेश मीडिया प्रभारी राजेन्द्र सिंह रावत एवं सचिव युद्धवीर गुंसाई ने कहा कि राज्य में 148 मोबाइल हैल्थ टीमें कार्यरत हैं, जिसमें दो चिकित्सक एवं एक स्टाॅफ नर्स व एक फार्मासिस्ट के पद हैं और आंगनबाड़ी केन्द्रों तथा राजकीय व सहायता प्राप्त विद्यालयों में पंजीकृत 0 वर्ष से 18 वर्ष तक के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण एवं चिन्हित बीमारियों का इलाज किया जा रहा है। वर्ष 2010 में चिरायु नाम से चल रहे कार्यक्रम को वर्ष 2013 में राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल कर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के रूप में वर्तमान में संचालित किया जा रहा है। कार्यक्रम से प्रदेश के सभी 13 जनपदों में बच्चों को अच्छा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो रहा है, जो कि कार्यक्रम के सफल होने का एक संकेत हैं।

उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के सफल संचालन को लेकर तिमाही कार्य योजना बनाना, हर दिन होने वाले स्वास्थ्य परीक्षण में औषधियों की उपलब्धता का प्रबंधन करना, स्टाॅक बुक बनाकर लिखित ब्यौरा रखना, स्वास्थ्य परीक्षण की हर दिन एवं मासिक रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों को प्रेषित करना, परीक्षण का लेखा-जोखा रखना, समय-समय पर मांगी जाने वाली रिपोर्ट तैयार कर प्रेषित करना, परीक्षण में प्रयोग होने वाले संसाधनों एवं उपकरणों का रख-रखाव एवं उपलब्धता एवं बच्चों का फालो-अप का कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा मजीलस रूबेला कार्यक्रम में स्कूल टीचर्स एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की ट्रेनिंग, पूरे कार्यक्रम का सुपरविजन एवं टीकाकरण भी कराया गया है। मिशन इन्द्रधनुष टीकाकरण कार्यक्रम में टीकाकरण का सुपरविजन, वर्ष में दो बार चल रहे राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस, डायरिया पखवाड़ा, समय-समय पर लगने वाले स्वास्थ्य शिविरों, राज्य भर में लगने वाले विभिन्न प्रकार के मेलों में पन्द्रह से बीस दिनों तक दिन व रात दोनों ही शिफ्टों में कार्य कर रहे हैं।

जबकि आपदा राहत शिविरों में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए निर्वाचन मतगणना एवं प्रशिक्षण में चिकित्सा शिविर, किसान महाकुंभ में चिकित्सा शिविर, बुखार एवं डेंगू के रोगियों की रोकथाम के लिए अस्थायी चिकित्सा शिविर, हज यात्रा के लिए जाने वाले यात्रियों को मेनिनजाइटिस, मैनिनगोकोकुल व सीजनल इन्फलुएंजा के टीकाकरण शिविर लगाये जाते हैं। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में कार्यरत फार्मासिस्टों को समान पद समान वेतन लाभ दिया जाय या फिर उचित वेतन वृद्धि लाभ दिया जाय, जिससे मिशन में लगे फार्मासिस्ट अपना जीवन यापन सही तरीके से कर सकें।

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