उत्तराखंड

विकलांग ने स्वयं के संसाधनों से किया मंदिर निर्माण…

भगवान शिव के प्रति है अटूट आस्था, धार्मिक अनुष्ठान का किया आयोजन
मन में सच्ची आस्था से मिलती है मंजिल: डाॅ बोंहरा
रुद्रप्रयाग- भगवान शिव के प्रति अटूट आस्था और विश्वास रखने वाले भरदार पट्टी के सेमलता गवाणा निवासी रघुवीर सिंह बिष्ट ने गंगेश्वर शिवलिंग मंदिर का स्वयं के संसाधनों से निर्माण करवाया। विकलांग होने के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और रात-दिन मेहनत के बाद मंदिर का निर्माण किया। उनकी आस्था को देखकर क्षेत्र की जनता ने विकलांग रघुवीर के प्रयासों की सराहना की।

दरअसल, भरदार पट्टी के गवाणा निवासी रघुवीर सिंह बिष्ट भगवान शिव के प्रति अटूट आस्था रखते हैं। उनके सपने में आया कि गांव के बीच गंगेश्वर शिवलिंग मंदिर का निर्माण किया जाय तो उन्होंने मन में ठान ली कि मंदिर का निर्माण किया जायेगा। पांव से विकलंाग होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन उनकी मदद के लिए किसी ने भी हाथ आगे नहीं बढ़ाए। किसी तरह उन्होंने मंदिर का निर्माण करवाया, जिसका शुभारंभ जिले के प्रसिद्ध सर्जन एवं बोंहरा नर्सिंग होम के संस्थापक डाॅ आनंद सिंह बोंहरा ने किया। इस अवसर पर डाॅ बोंहरा ने कहा कि विकलांग रघुवीर सिंह बिष्ट ने बहादुरी का परिचय दिया है। अगर मन में भगवान के प्रति सच्ची आस्था हो तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं होता है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की खुशहाली और उन्नति के लिए भगवान शिव का वास होना जरूरी है।

भगवान शिव विश्व रचियता हैं, उनका मंदिर बनने से क्षेत्र विकास की ओर अग्रसर होगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीण जनता को धार्मिक कार्यों में हरसंभव करनी चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता मोहन सिंह बागड़ी ने कहा कि क्षेत्र के युवाओं को धार्मिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भागीदारी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जनता को अपनी संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए। अपनी भोली-भाषा का प्रचार-प्रसार करना चाहिए, जिससे क्षेत्र का नाम रोशन हो सके। श्री बागड़ी ने कहा कि क्षेत्रीय युवाओं को पौराणिक परम्पराआंे व रीति-रिवाजों का निर्वहन करना चाहिए, तभी जाकर आने वाले पीढ़ी भी अग्रसर होगी। विकलांग रघुवीर सिंह बिष्ट ने कहा कि उनके सपने में दैवीय शक्ति आई, जिसने उन्हें मंदिर निर्माण की प्रेरणा दी। मंदिर निर्माण के लिए अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की मदद लेनी चाही तो किसी भी स्तर से मदद नहीं मिली। स्वयं के संसाधनों और ग्रामीणों की मदद से किसी तरह मंदिर का निर्माण किया और मंदिर निर्माण के बाद धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन कर भंडारा दिया गया, जिसमें क्षेत्रीय जनता ने भारी संख्या में पहुंचकर प्रसाद ग्रहण किया। इस मौके पर संदीप थपलियाल, बबलू नौटियाल, राजेन्द्र नौटियाल सहित कई मौजूद थे।

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