नवल खाली
उरर्या खूं ब्यो बल, फुरर्या खूं फ़्फ़राट
उत्तराखंड के औली में आजकल गुप्ताओं की शादी की तैयारियों की धकाधूम चल रही है । बैसाखू काका के चाय की शॉप से लेकर औली के टॉप तक इस करोडपतिया शादी की चर्चाएं हर किसी की जुबान पर है ।
हमारे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत जी इस शादी को लेकर उतने ही उत्सुक हैं जितना ब्योली का मामा होता है ।
अब गुप्ता जी की ब्वारी जल्द ही उत्तराखंड की धियाँण भी बन जाएगी क्योंकि शादी जब हमारे घर उत्तराखंड में ही हो रही है तो अब वो हमारी परमानेंट धियाँण बन चुकी हैं ।
इसलिए अगले साल से मुख्यमंत्री साब को हर चैत के महीने अपनी इस धियाँण को औली में बुलाना चाहिए व एक ब्रह्द आयोजन करना चाहिए ।
वहीं जोशीमठ में अभी तक किसी को भी इस शादी का न्यौता नही मिल पाया है । लोग बड़े ही उत्सुक थे कि क्या पता इस वीवीआईपी शादी में शामिल होने का मौका मिल जाय पर अभी तक ऐसा कुछ नही हुआ ।
अखबारों में खबर छपी थी कि हर दुकान किराए पर ली जा रही है ,इसलिए स्थानीय लोगो की आमदनी बढ़ेगी । पर जमीनी हकीकत ऐसी नही है । सिर्फ कुछ प्राइवेट कमरे व अन्य सरकारी गेस्ट हाउस ही अभी इस शादी में सरकारी दामाद बने हैं ।
तुर्रा ये कि दावा किया जा रहा था कि ये वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर एक बड़ा निवेश होगा पर ये सारा निवेश सिर्फ इंटरनेशनल लेवल की एक बड़ी इवेंट कम्पनी के लिए ही है ।
स्थानीय लोगों को इस शादी से क्या फायदा होगा ?? सरकार को कितना राजस्व मिलेगा ? ये तो सरकार ही जानती होगी ।
टूरिज्म बढाने के दावे तो सरकार के फेल साबित हो चुके हैं इसलिए इस प्रकार की शादी आयोजित करवाकर एक कौतूहल पैदा करने से अधिक कुछ नही लगता ।
टूरिज्म की हालत टिहरी की मरीना वोट की तरह डूबती हुई नजर आती है । अब हमारे टूरिज्म मनिस्टर सत्यपाल रावत साब केदारनाथ को डार्क टूरिज्म के नाम पर विकसित करने की अपरिपक्व योजना का ताना बाना बुन रहे हैं । जो चीजें हमारे पास उपलब्ध हैं उनका संरक्षण व संवर्धन ही करना बाँगा दूध भात (टेढ़ी खीर) हो रखा है ।
जहाँ सम्भावनाएं हैं वहाँ सरकार निष्क्रिय है – श्रीनगर गढ़वाल की झील में वोट चलाने के टेंडर की प्रक्रिया तीन सालों से लंबित की लंबित ही चल रही है । चोपता में आवश्यक सुविधाओं का सदैव से टोटा बना है । जिन बेरोजगारों ने टेंट लगाए भी थे , उनको भी उजाड़ दिया गया है ।क्योंकि प्रोपर कोई नीति नही है ।
खैर इस भव्य शादी के पकवान भले ही जोशीमठ वासी चखे न चखें पर हमारे नेता लोग जरूर चखेंगे ।
वैसे पहाड़ों में कोई भी शादी आजकल बिना बोतल के होनी मुश्किल हो रखी है , अब देखना ये होगा कि इस शादी में भाई गुप्ता जी के कितनी बोतलें लगती हैं । अगर कल परसों तक सचमुच स्थानीय लोगों को न्यौता आ गया तो भाई बैसाखू भी विदेशी ब्रांड पीने की ताक में बैठा है ,पीने के बाद उसकी अंग्रेजी के सामने विदेशी अंग्रेज मेहमान भी फीके पड़ जाएंगे ।
वैसे पहाड़ों में औली जैसी धार में आजतक कोई भी शादी नही होती क्योंकि एडी अच्छरियों के छल कपट यहाँ बारम्बार होते रहते हैं । शादी के बाद छल पूजाई ,बणद्यो पूजाई के लिए गुप्ताओं को यहाँ के बार बार चक्कर लगाने पड़ेंगे ।
वैसे अपने त्रिवेंद्र जी को मानना पड़ेगा , वो दूरदर्शी प्रतीत होते हैं
, उनको पता है कि उनका अगला प्लान छल पूजाई डेस्टिनेशन होगा , जब छल पूजाई के लिए भी इन गुप्ता बंधुओ को उत्तराखंड में निवेश करना पड़ेगा । ये होती है दूरदर्शिता । तब बोल रहे तुम लोग रावत जी कुछ नही कर रहे …. अब इससे ज्यादा क्या करना …?? अपडू कपाल फोंण !!
कुल मिलाकर ऐसी शादी के लिए पहाड़ी में एक कहावत है