उत्तराखंड

केदारनाथ में पके चावल से भोग लगाने के पीछे यह है परंपरा

बाबा केदार के धाम में मनाया गया अन्नकूट मेला
रुद्रप्रयाग। बाबा केदारनाथ तथा छोटा केदार के रूप में विख्यात विश्वनाथ मंदिर में अन्नकूट मेला भव्य रूप से मनाया गया। इस दौरान सैकड़ों शिव भक्तों ने भोले की चार पहर की पूजा कर भक्तों को प्रसाद भी वितरित किया। गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर को मंदिर समिति तथा स्थानीय भक्तों द्वारा फूल मालाओं से सजाया गया।

रविवार को देर शाम भक्तों द्वारा शिवलिंग को पुष्प चन्दन से सजाया गया। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रात्रि के चौथे पहर में भक्तों द्वारा नये अन्न चावल का भोग लगाया गया। वेद मंत्र के साथ ही चावलों से निर्मित भात द्वारा त्रिकोणीय लिंग को ढकाया गया, इसके साथ ही वेद पाठियों द्वारा रूद्रष्टध्यायी की ऋचाओं द्वारा भगवान शिव की पूजा अर्चना की गई, इसके साथ ही स्थानीय भक्त मण्डली द्वारा शंकर के भजन गाये गये। सुख, समृद्धि तथा हरियाली की कामना के लिए केदारनाथ तथा विश्वनाथ मंदिर में भारी श्रद्धालुओं की मौजूदगी में भोले के जयकारों के बीच भतूज मेले में भगवान शंकर को नये अन्न का भोग लगाया जाता है।

मान्यता है कि ऐसा करने से सबके घर में सुख वैभव का वास होता है और सभी के घर अन्न और धन से भरे होते हैं। ब्रह्म बेला पर इस भात को निकालकर जल में विसर्जित किया गया। मेले के पीछे यह भी तर्क दिया जाता है कि अन्न में सूक्ष्म मात्रा में विष का अंश रहता है। प्रभु को चढ़ाने के बाद विष का प्रभाव समाप्त हो जाता है और खाने योग्य बन जाता है।

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