उत्तराखंड

जर्मन पर्यटक को खुभ भा रहे उत्तराखंड के रीति रिवाज और पहाड़ी व्यंजन

जर्मन पर्यटक को खुभ भा रहे उत्तराखंड के रीति रिवाज और पहाड़ी व्यंजन
होम स्टे में विदेशियों को पहाड़ी व्यंजन परोसे जाते हैं
जर्मनी के वुपर्टल शहर से दस-सदस्यीय पर्यटक दल चारधाम भ्रमण के लिए इन दिनों चमोली जिले में आया हुआ है।

चमोली : चारधाम यात्रा पर आए जर्मनी के पर्यटकों पर पहाड़ की संस्कृति का ऐसा रंग चढ़ा कि यात्रा का प्लान छोड़ गांव वालों के बीच रहकर ही काश्तकारी के गुर सीखने लगे। इन दिनों चमोली जिला मुख्यालय के पास देवर खडोरा क्षेत्र में रहकर ये पर्यटक रिंगाल की टोकरियां बनाने में मस्त हैं। उन्हें यहां के रीति-रिवाज खासे भा रहे हैं। जर्मनी के वुपर्टल शहर के रहने वाले पेशे से शिक्षक 42-वर्षीय नारद मार्सल टूरनौ के नेतृत्व में दस-सदस्यीय पर्यटक दल चारधाम भ्रमण के लिए इन दिनों चमोली जिले में आया हुआ है। 24 सितंबर को यह दल जिला मुख्यालय गोपेश्वर के पास तुलसी रावत के होम स्टे में पहुंचा। यहां दल के सदस्यों का मन ही बदल गया और उन्होंने यात्रा के बजाए गांवों के भ्रमण की इच्छा व्यक्त की। उन्हें आसपास के गांवों डुंगरी, देवर खडोरा व नैणी ले जाया गया।

नैणी गांव में विदेशियों ने रिंगाल से बन रही टोकरियों व कंडी की कारीगरी देखी तो उन्होंने भी इसे सीखने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने कंडी व टोकरी निर्माण में भी हाथ आजमाया और ग्रामीणों की कारीगरी को सराहते हुए उनसे टोकरियां भी खरीदी। इन पर्यटकों ने प्राथमिक विद्यालय डुंगरी जाकर सरकारी शिक्षा के सिस्टम को करीब से जाना और बच्चों को पेंसिल, कापी, किताब बांटीं। दल प्रभारी नारद मार्सल टूरनौ कहते हैं कि प्राकृतिक सुंदरता से तो चमोली के गांव भरे पड़े हैं। यहां से हिमालय की पर्वत शृंखलाओं को निहारने का अलग ही आनंद है। इसलिए उन्होंने चारधाम भ्रमण विचार छोड़ दिया। बताया कि पहाड़ की जीवन शैली से उन्हें काफी-कुछ सीखने को मिला। दल की सदस्य 25-वर्षीय मेलनी कहती हैं कि पहाड़ में सरकारी शिक्षा हर गांव तक उपलब्ध है। सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी का अभाव है। अंग्रेजी का ज्ञान अगर शुरुआत से ही सरकारी स्कूलों में दिया जाए तो ये बच्चे विश्व स्तर पर शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे बदलावों से रू-ब-रू हो सकेंगे।

संस्कृति एवं परंपराओं से जुड़कर यादगार बना रहे टूर

होम स्टे की मालिक तुलसी देवी कहती हैं कि ये पर्यटक गांवों में घूमने के साथ ही यहां की संस्कृति एवं परंपराओं से परिचित होना चाहते हैं। इसलिए ज्यादा गांवों में भ्रमण कर अपने टूर को यादगार बना रहे हैं। उन्हें गांवों में घुमाने के लिए गाइड का काम कर रही डुंगरी निवासी लक्ष्मी देवी घरिया भले ही अंग्रेजी नहीं जानतीं, लेकिन हिंदी में ही वह पर्यटकों को यहां की परंपराओं का ज्ञान बांट रही हैं। ग्रुप में मौजूद अनुवादक पर्यटकों को अंग्रेजी में सब-कुछ समझा रहा है।

टॉप टेन में गोपेश्वर का होम स्टे

रौलीग्वाड़ (गोपेश्वर) में तुलसी रावत के होम स्टे ‘फीचर्स एंड पीयर्स’ को देश के टॉप टेन होम स्टे में स्थान मिला है। यह सर्वे देश की प्रतिष्ठित ट्रैवल्स मैग्जीन आउटलुक ने किया। इस होम स्टे में विदेशी पर्यटकों की आवाजाही से घिंघराण मार्ग के आसपास के बाजार भी गुलजार हैं। होम स्टे में विदेशियों को पहाड़ी व्यंजन परोसे जाते हैं।

होम स्टे संचालक 61-वर्षीय तुलसी रावत कहती हैं कि गांवों में रीवर्स माइग्रेशन तभी होगा, जब हम पर्यटकों को लुभाने लायक सुविधाएं जुटाएंगे और अपने घरों को पारंपरिक तरीके से ही आधुनिक सुविधाओं से जोड़ेंगे। कहती हैं, सफाई व प्राकृतिक सुंदरता विदेशियों की पसंद रहती है और प्राकृतिक सुंदरता पहाड़ के हर गांव में उपलब्ध है।

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